आशु वर्मा, ब्यूरो चीफ – तिल्दा-नेवरा
तिल्दा-नेवरा/रायपुर:
ग्राम सांकरा में प्रस्तावित श्री नाकोडा इस्पात एंड पावर लिमिटेड संयंत्र को लेकर आयोजित जनसुनवाई एक बार फिर विवादों में घिर गई है। स्थानीय ग्रामीणों ने जनसुनवाई को स्थगित करने की मांग करते हुए रायपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस जनसुनवाई के पहले क्षेत्र के तथाकथित स्वयंभू नेता आस-पास के गांवों – सरोरा, परसदा, भूमिया आदि में जाकर लोगों से प्रलोभन देकर सहमति पत्र इकट्ठा कर रहे हैं। इसके बदले रुपयों का लेन-देन भी किया जा रहा है।
ग्रामीणों का आक्रोश –
प्रभावित गांव के निवासियों ने ऐसे नेताओं पर “उद्योग के दलाल” होने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ये लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए ग्रामीणों को गुमराह कर रहे हैं और उद्योग प्रबंधन से पैसे लेकर सहमति पत्र एकत्र कर रहे हैं, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण मंडल में जमा कर वास्तविक जनभावना को दबाया जा रहा है।
बड़ा सवाल – जनसुनवाई की उपयोगिता क्या रह गई?
ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि यदि बाहर से सहमति पत्र लेकर ही पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी, तो फिर जनसुनवाई की प्रक्रिया महज एक औपचारिकता बन कर रह गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि:
- जनसुनवाई के दौरान वास्तविक मौके की बातों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- बाहरी सहमति पत्रों के आधार पर कोई फैसला नहीं लिया जाना चाहिए।
- इस प्रक्रिया में धांधली कर पर्यावरण संरक्षण मंडल और ग्रामीणों दोनों को गुमराह किया जा रहा है।
प्रशासन ने दिया आश्वासन
ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीणों को कलेक्टर रायपुर की ओर से जनसुनवाई स्थगित किए जाने का आश्वासन दिया गया है। वहीं दूसरी ओर, पूरे प्रकरण को लेकर क्षेत्र में खासा तनाव और नाराजगी व्याप्त है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अब वे इन कथित नेताओं के चेहरे पहचान चुके हैं और समय आने पर उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे।
यह मामला बताता है कि ग्रामीण विकास की आड़ में कैसे आर्थिक सौदाबाजी और फर्जी सहमति के ज़रिए जनविरोध को दबाने की कोशिश की जा रही है।
पूरा मामला अब प्रशासन और पर्यावरण संरक्षण मंडल की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
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