“मां बेरीवली उद्योग” के खिलाफ ग्रामीणों में उबाल, जनसुनवाई से पहले तिल्दा तहसील का घेराव
तिल्दा-नेवरा।
ग्राम लखना में प्रस्तावित मेसर्स मां बेरीवली स्पंज एवं पावर प्राइवेट लिमिटेड उद्योग को लेकर ग्रामीणों में तीव्र आक्रोश फैल गया है। जनसुनवाई से पहले ही सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने ट्रैक्टर और अन्य वाहनों से तिल्दा तहसील पहुंचकर एसडीएम को विरोध पत्र सौंपा। ग्रामीणों ने इस परियोजना को जनविरोधी बताते हुए जनसुनवाई का बहिष्कार और पुरजोर विरोध करने की चेतावनी दी है।
पूर्व सरपंच और ग्रामीणों के गंभीर आरोप
ग्राम लखना की पूर्व सरपंच श्यामबती साहू ने बताया कि पूर्ववर्ती कार्यकाल में उन पर उद्योग को एनओसी देने के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव बनाया गया था, मगर उन्होंने जनता के हित में ऐसा कोई दस्तावेज जारी नहीं किया। उन्होंने दोहराया कि इस उद्योग को किसी भी स्थिति में गांव में स्थापित नहीं होने देंगे।
पर्यावरण स्वीकृति पर उठे सवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रभावित ग्राम लखना से एनओसी न मिलने के बावजूद पर्यावरण विभाग जनसुनवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है। इतना ही नहीं, जनसुनवाई का स्थान भी लखना के बजाय ग्राम सांकरा में रखा गया है, जो उद्योग के सीमावर्ती क्षेत्र में आता है। ग्रामीणों का दावा है कि सांकरा से ली गई एनओसी भी अपूर्ण और ग्रामसभा की मंजूरी के बिना है।
विधायक और मंत्री पर भी निशाना
ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक एवं कैबिनेट मंत्री पर भी वादाखिलाफी और उद्योग को अप्रत्यक्ष समर्थन देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले किए गए वादे सत्ता में आते ही बदल गए, और अब वे उद्योग के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं।
नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन
हाथों में “जल-जंगल-जमीन हमारी है”, “उद्योग की मनमानी नहीं चलेगी” जैसे नारों वाले बैनर लिए ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने साफ कहा कि वे पर्यावरण और अपनी आजीविका से समझौता नहीं करेंगे।
20 जून को प्रस्तावित जनसुनवाई पर संकट
ग्रामीणों के तीव्र विरोध के चलते 20 जून को होने वाली जनसुनवाई पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं, उद्योग प्रबंधन पर यह भी आरोप है कि वह लोगों को प्रलोभन देकर समर्थन में करने का प्रयास कर रहा है।
– आशु वर्मा, ब्यूरो चीफ
N. भारत न्यूज, तिल्दा-नेवरा
