पर्यावरण अधिकारी पर उद्योगपति से सांठगांठ का आरोप! जनसुनवाई में भारी विरोध, जवाब देकर खुद फंसे अफसर
रिपोर्ट – शैलेश सिंह राजपूत, ब्यूरो चीफ | तिल्दा-नेवरा
तिल्दा-नेवरा, रायपुर: ग्राम सांकरा में प्रस्तावित मेसर्स नाकोडा इस्पात एवं पावर उद्योग को लेकर आयोजित पर्यावरण जनसुनवाई विवादों के घेरे में आ गई है। भारी विरोध के बावजूद पर्यावरण अधिकारी द्वारा जनसुनवाई को “मिली-जुली प्रतिक्रिया” करार देने से ग्रामीण भड़क उठे हैं। अब अधिकारी प्रकाश कुमार कांवरे पर उद्योगपतियों से मिलीभगत का संगीन आरोप लगाया जा रहा है।
जनसुनवाई के दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने एक स्वर में उद्योग स्थापना का विरोध किया और जनसुनवाई को रद्द करने की मांग की। नारेबाजी और विरोध के चलते अधिकारियों को सुरक्षा घेरे में कार्यक्रम स्थल से बाहर ले जाया गया। बावजूद इसके, पर्यावरण अधिकारी प्रकाश कुमार कांवरे द्वारा मीडिया को दिए बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया।
उन्होंने कहा कि जनसुनवाई में “मिली-जुली प्रतिक्रिया” देखने को मिली। इस बयान पर ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे “गुलाबी नोट का असर” बताया। ग्रामीणों का आरोप है कि जनसुनवाई में किसी ने भी खुलकर उद्योग का समर्थन नहीं किया, जबकि वीडियो रिकॉर्डिंग इसका प्रमाण है।
सूत्रों के अनुसार, सप्ताह भर पहले विभिन्न गांवों—जैसे सरोरा, परसदा, टंडवा, जोता आदि—में कथित तौर पर पैसे के बदले सहमति पत्र भरवाए गए थे। ग्रामीणों का आरोप है कि ये पत्र नियमों के विरुद्ध तैयार किए गए और जनसुनवाई से ठीक एक दिन पहले इनका टेबल अवलोकन कर लिया गया, जिससे अधिकारी पूर्व निर्धारित स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे।
जब पत्रकारों ने उनसे ग्रामीणों द्वारा प्रस्तुत आपत्ति-पत्र के बारे में सवाल किया तो उन्होंने अध्ययन न करने की बात कही। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि बिना दस्तावेजों का अध्ययन किए “मिली-जुली प्रतिक्रिया” कैसे घोषित की गई?
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि इस प्रस्तावित परियोजना को स्वीकृति मिली, तो वे उग्र आंदोलन की राह पर उतरेंगे।
“यदि इतनी भारी संख्या में विरोध के बावजूद उद्योग को स्वीकृति मिलती है, तो यह जनभावनाओं का अपमान होगा!” — स्थानीय ग्रामीण
ये मामला अब केवल पर्यावरणीय चिंता नहीं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जनविश्वास की परीक्षा बन चुका है।
Leave a Reply