जिला व ब्लॉक मुख्यालयों में रैली निकालकर सौंपा जाएगा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
आशु वर्मा/तिल्दा-नेवरा।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने अपनी लंबित मांगों को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन का ऐलान कर दिया है। आंदोलन का पहला चरण आज 16 जुलाई से पूरे प्रदेश में शुरू हो रहा है। फेडरेशन के प्रदेश प्रवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि आज बस्तर से लेकर सरगुजा तक सभी जिलों, तहसीलों और ब्लॉकों में “वादा निभाओ रैली” निकालकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
प्रवक्ता तिवारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान कर्मचारियों के लिए “मोदी की गारंटी” नामक घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें कई महत्वपूर्ण वादे किए गए थे। लेकिन सत्ता में आने के बाद से अब तक इन घोषणाओं को पूरा नहीं किया गया है। इस वादाखिलाफी के विरोध में फेडरेशन ने “कलम रख, मशाल उठा” आंदोलन की शुरुआत की है।
फेडरेशन की प्रमुख मांगे:
- प्रदेश के शासकीय सेवकों एवं पेंशनरों को केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता (DA/DR) दिया जाए
- लंबित डीए एरियर्स की राशि को GPF खाते में समायोजित किया जाए
- कर्मचारियों को चार स्तरीय वेतनमान प्रदान किया जाए
- 25 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन का प्रावधान किया जाए (केंद्र के समान)
- निःशर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाए
- अनियमित, संविदा, दैनिक वेतनभोगी एवं अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण किया जाए
- सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर की जाए
- पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए
- पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाए
- मितानिनों, रसोइया व सफाई कर्मचारियों के मानदेय में 50% की वृद्धि की जाए
- अर्जित अवकाश 240 दिन से बढ़ाकर 300 दिन किया जाए
- कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदेश में लागू की जाए
फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस आंदोलन के बाद भी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो 22 अगस्त को एक दिवसीय टोकन स्ट्राइक आयोजित की जाएगी।
आंदोलन को सफल बनाने में बी पी शर्मा, पंकज पाण्डेय, राकेश शर्मा, दिलीप झा, पीतांबर पटेल, फारूक कादरी, रामचंद्र तांडी, तिलक यादव, रमेश ठाकुर, सी एल दुबे, मुक्तेश्वर देवांगन, देवेंद्र साहू, मनोज साहू, सत्येंद्र देवांगन समेत कई संगठनों के पदाधिकारी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
यह आंदोलन राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि इसमें प्रदेश के हजारों कर्मचारी और अधिकारी सम्मिलित हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार अपने किए वादों पर कितना अमल करती है।
