“कागजों में सुविधा संपन्न, हकीकत में खस्ताहाल!” – महासमुंद की आंगनबाड़ी भवनों की जमीनी सच्चाई
रवि शंकर गुप्ता, संपादक – N. भारत न्यूज
महासमुंद। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े भले ही दावा कर रही हों कि राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। महासमुंद जिले से महज 15 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कांपा की आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति सरकार के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है।
जर्जर भवन में चल रही आंगनबाड़ी
ग्राम कांपा में कुल तीन आंगनबाड़ी केंद्र हैं। केंद्र क्रमांक 1 की हालत इतनी खराब है कि आठ महीने पहले इसे जर्जर घोषित कर पास के एक किराए के भवन में शिफ्ट किया गया था। लेकिन मकान मालिक ने भवन खाली करवा लिया और पिछले चार माह से पुनः उसी खतरनाक जर्जर भवन में बच्चों को बैठाया जा रहा है।
ना पीने के पानी की व्यवस्था है, ना शौचालय चालू हैं और ना ही सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवॉल। आंगनबाड़ी के सामने सड़क है और पीछे खेत – जहां से कभी भी सांप-बिच्छू आ सकते हैं। बच्चों की जान खतरे में है, लेकिन प्रशासन मौन है।
शौचालय बंद, पानी नहीं – कर्मचारी भी परेशान
केंद्र में कार्यरत दो महिला कर्मचारी भी अपने घर के शौचालय का उपयोग करने को मजबूर हैं। बच्चे यदि लघुशंका के लिए जाना चाहें तो उन्हें भी घर भेजा जाता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यही है “बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ” का धरातलीय स्वरूप?
केंद्र क्रमांक 2 – नशेड़ियों का अड्डा बन चुका परिसर
आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2 में आरो तो लगा दिया गया है, पर नियमित पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। खिड़कियां टूटी हुई हैं। शराबी लोग रात में खिड़की से अंदर शराब पीते हैं और कांच की बोतलें और डिस्पोजल ग्लास वहीं फेंक जाते हैं। यह स्थान अब बच्चों की सुरक्षा के बजाय असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है।
सुपरवाइजर के निरीक्षण महज़ औपचारिकता
महिला बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर मोनिका गुप्ता सप्ताह में एक-दो बार आंगनबाड़ी केंद्रों में झांकने भर आती हैं और बिना कोई ठोस कार्यवाही किए लौट जाती हैं। यह लापरवाही बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।
बड़े सवाल –
क्या मंत्री महोदय को इन हालातों की सच्चाई बताई जाती है?
क्या बच्चों की सुरक्षा और स्वच्छ वातावरण की ज़िम्मेदारी किसी की नहीं?
कब सुधरेगी महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली?
यदि समय रहते विभाग ने उचित कदम नहीं उठाया, तो यह नन्हें बच्चों के भविष्य और जीवन के साथ एक घातक खिलवाड़ साबित हो सकता है।
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