📚 “बस्ते खाली, उम्मीद अधूरी!” – छत्तीसगढ़ में किताबों के बिना शुरू हुआ नया सत्र, निजी स्कूलों में पढ़ाई पर संकट
✍️ रवि शंकर गुप्ता, संपादक – N. भारत न्यूज़
रायपुर/
छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र 16 जून से भले ही औपचारिक रूप से शुरू हो गया हो, लेकिन बच्चों के हाथ अब तक किताबों से खाली हैं। पहली से आठवीं तक के हजारों छात्र-छात्राएं बिना पाठ्यपुस्तकों के स्कूल जाने को मजबूर हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ रहा है।
10 दिन से अधिक हो गए स्कूल खुलने को, लेकिन किताबें गायब
छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम की लापरवाही के कारण अब तक सरकारी किताबें स्कूलों तक नहीं पहुंची हैं। अधिकारियों की चुप्पी और उदासीनता ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों की चिंता बढ़ा दी है। किताबों के अभाव में शिक्षक या तो निजी प्रकाशनों की पुस्तकें इस्तेमाल कर रहे हैं या PDF की तलाश में भटक रहे हैं।
सरकारी किताबें उपलब्ध हैं और न ही निजी प्रकाशनों की किताबों से पढ़ाने की अनुमति मिल रही है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने उठाई आवाज
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर मांग की है कि या तो तुरंत किताबें वितरित की जाएं या कम से कम PDF फॉर्मेट में किताबें उपलब्ध कराई जाएं, ताकि पढ़ाई पटरी पर लौट सके। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा,
“प्रदेश के किसी भी अशासकीय स्कूल में अब तक सरकार की ओर से एक भी किताब नहीं पहुंची है। स्थिति चिंताजनक है।”
छत्तीसगढ़ सरकार के स्टेट बुक्स स्टॉक में अंग्रेज़ी मीडियम की किताबों की भारी कमी बताई जा रही है। कई स्कूलों को एक भी सेट नहीं मिल पाया है, जिससे नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक के छात्र पूरी तरह पढ़ाई से वंचित हैं।
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में बदलाव बना बड़ा कारण
बताया जा रहा है कि इस वर्ष कक्षा चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं के पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी द्वारा बदलाव किए गए हैं, जिसके चलते किताबें अब तक नहीं छप पाई हैं। वहीं दूसरी ओर अंग्रेज़ी माध्यम की किताबों की भी भारी किल्लत बनी हुई है।
निजी किताबों पर रोक, लेकिन विकल्प नहीं
गौरतलब है कि शासन ने निजी प्रकाशकों की किताबों के उपयोग पर रोक लगा रखी है, लेकिन सरकारी किताबें समय पर नहीं मिलने से स्कूलों के पास कोई और रास्ता नहीं बचा है। शिक्षकों का कहना है कि जिन किताबों की उपलब्धता है, उसी से पढ़ाई शुरू की गई है – लेकिन इससे पाठ्यक्रम का समुचित पालन नहीं हो पा रहा।
छात्रों का भविष्य अधर में
शिक्षा विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह स्थिति यदि जल्द नहीं सुधारी गई, तो छात्रों का एक महीना बिना ठोस पढ़ाई के व्यर्थ चला जाएगा, जिसका सीधा असर उनके वार्षिक प्रदर्शन पर पड़ेगा।
📢 N. भारत न्यूज़ की मांग:
- प्रदेश के सभी स्कूलों को तत्काल किताबों उपलब्ध कराई जाए
- पाठ्य पुस्तक निगम को जवाबदेह बनाकर स्पष्ट समयसीमा तय की जाए
