तिल्दा-नेवरा (रायपुर): विकासखंड तिल्दा के ग्राम पंचायत परसदा (जो) में एक बार फिर से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि नंदन स्मल्टर्स नामक निजी उद्योग को पंचायत से फर्जी एनओसी जारी कर 10 एकड़ कृषि भूमि पर स्थापित किए जाने की अनुमति दी गई है। यह जमीन पूरी तरह से कृषि उपयोग के लिए आरक्षित थी।
ग्राम सभा में चर्चा ही नहीं, फिर कैसे मिली अनुमति?
ग्रामीणों का कहना है कि न तो इस विषय पर ग्राम सभा बुलाई गई और न ही पंचायत रजिस्टर में कोई प्रस्ताव दर्ज है। इसके बावजूद उद्योग विभाग को दस्तावेज सौंपकर अनुमति ले ली गई। ग्रामीणों का आरोप है कि फर्जी हस्ताक्षर कर एनओसी तैयार की गई और पंचायत व्यवस्था को दरकिनार कर दिया गया।
तालाब और जलस्रोत पर कब्जा
ग्रामीणों ने यह भी खुलासा किया है कि जिस भूमि पर यह उद्योग बनाया गया है, वहां पूर्व में तालाब और पानी की टंकी मौजूद थी, जिसे गांव के जलस्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। अब इस पर उद्योग का निर्माण होना न सिर्फ जलसंकट को बढ़ाएगा बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन भी पैदा करेगा।
पहले से प्रदूषण झेल रहा है गांव
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पहले से ही एक उद्योग प्रदूषण फैला रहा है। धूल, धुआँ और रासायनिक गंध से लोग बीमार हो रहे हैं। ऐसे में एक और भारी उद्योग को अनुमति देना ग्रामीणों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।
38 से अधिक ग्रामीणों ने किया विरोध
इस पूरे मामले के खिलाफ 38 से अधिक ग्रामीणों ने हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपा है, जिसमें तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की गई है। ग्रामीणों ने थाना प्रभारी, जनपद पंचायत और एसडीएम को पत्र सौंपकर सख्त कदम उठाने की अपील की है।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:
- फर्जी एनओसी की उच्च स्तरीय जांच की जाए
- पहले से चल रहे उद्योगों से फैल रहे प्रदूषण पर कड़ी कार्यवाही हो
- तालाब और जलस्रोत की जमीन को सुरक्षित किया जाए
- दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई कर पंचायत व्यवस्था की गरिमा बहाल की जाए
