हाईटेक पावर एवं स्टील उद्योग के खिलाफ श्रमिकों का आंदोलन : भारी तनातनी के बीच बनी सहमति, पर असंतोष बरकरार

— रविशंकरगुप्ता : सम्पादक
तिल्दा-नेवरा।
ग्राम पंचायत परसदा स्थित हाईटेक पावर एवं स्टील उद्योग के खिलाफ पिछले दो दिनों से चल रहा श्रमिकों का आंदोलन आखिरकार प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद फिलहाल थम गया है। किंतु आंदोलन के दौरान उभरा असंतोष अब भी श्रमिकों के बीच सुलग रहा है।
सूत्रों के अनुसार, उद्योग मंत्री के बेहद नजदीकी व्यक्ति पर आरोप है कि वह कंपनी प्रबंधन के साथ मिलकर वर्षों से श्रमिकों का शोषण कर रहा है और इस बार भी उसने आंदोलन को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बताया जा रहा है कि कंपनी के अंदरूनी राजनीति और बाहरी दबावों के चलते श्रमिक दो गुटों में बंट गए हैं — एक धड़ा समझौते से संतुष्ट दिख रहा है, जबकि दूसरा इसे “धोखा और साजिश” करार दे रहा है।
✦ आंदोलन की पृष्ठभूमि
श्रमिकों ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर बीते दो दिन पूर्व से कंपनी के मुख्य गेट पर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू किया था। आंदोलन के चलते उत्पादन कार्य बाधित हो गया। इसी बीच उद्योग प्रबंधन ने अचानक एक सूचना पत्र जारी कर कंपनी को अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा कर दी, जिससे माहौल और गरम हो गया।
श्रमिकों ने आरोप लगाया कि कंपनी के कुछ “चाटुकार कर्मचारी” और प्रबंधन से जुड़े लोग अपने हित साधने के लिए आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश करते रहे।
✦ प्रबंधन का दबाव और प्रशासन की मध्यस्थता
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उद्योगपति और एक प्रभावशाली मंत्री के बीच नज़दीकी संबंध लंबे समय से चर्चा में रहे हैं। श्रमिकों का कहना है कि यही कारण है कि कंपनी प्रबंधन वर्षों से मजदूरों पर दबाव बनाता आया है और विभागीय अधिकारी भी इस पर आंख मूंदे रहते हैं।
बीती रात श्रमिकों के बीच एक वायरल सूचना पत्र प्रसारित हुआ, जिसमें 6 नवम्बर की सुबह 8:30 बजे सभी कर्मचारियों को प्लांट गेट पर पहुंचने का निर्देश दिया गया था — अन्यथा “जो कर्मचारी नहीं आएगा, वह स्वयं जिम्मेदार होगा।” इस पत्र ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया।
सुबह श्रमिक कंपनी गेट के पास एकत्र हुए, तो वहां भारी तनातनी का माहौल बन गया। पुलिस बल और प्रशासन को मौके पर तैनात किया गया। तहसीलदार और थाना प्रभारी की मौजूदगी में त्रिपक्षीय बैठक हुई, जिसमें सहमति का एक प्रारूप तय हुआ।
✦ बनी सहमति, पर गहराया असंतोष
बैठक में तय हुआ कि वर्तमान “वन रोल प्रक्रिया” में विचाराधीन 20 कर्मचारियों में से 60% (12) स्थानीय ग्राम परसदा के रहेंगे, जबकि 40% (8) अन्य क्षेत्रों से लिए जाएंगे। आगामी अप्रेल माह में भी 50% स्थानीय और 50% बाहरी श्रमिकों को मौका देने पर सहमति बनी।
हालांकि, श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग इस निर्णय से असंतुष्ट है। उनका कहना है कि यह आंदोलन “साजिश की भेंट चढ़ गया” और जिन मुद्दों को लेकर वे सड़क पर उतरे थे, वे अब भी अधूरे हैं।
✦ सूत्रों का दावा — “मंत्री-उद्योगपति गठजोड़”
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, उद्योग मंत्री से नजदीकी रखने वाले एक व्यक्ति ने इस पूरे मामले में निर्णायक भूमिका निभाई। श्रमिक नेताओं का आरोप है कि प्रशासन पर दबाव बनाकर आंदोलन को जबरन समाप्त कराया गया, ताकि उद्योग की साख को नुकसान न पहुंचे।
✦ श्रमिकों का संदेश
एक श्रमिक ने कहा — “हमने न्याय और सम्मान की लड़ाई लड़ी थी, लेकिन सत्ता और पैसे के खेल ने हमारी आवाज़ दबा दी।”
अब देखना यह होगा कि क्या यह “सहमति” वास्तव में स्थायी शांति का रास्ता खोलेगी, या आने वाले दिनों में हाईटेक उद्योग परिसर फिर किसी नए आंदोलन की चिंगारी सुलगाएगा।
