रायपुर।
प्रदेश की जर्जर होती स्वास्थ्य व्यवस्था पर जब मीडिया ने सवाल उठाने शुरू किए तो सरकार ने उस पर पर्दा डालने की शर्मनाक कोशिश की है। एक हालिया आदेश में प्रदेश सरकार ने अस्पताल परिसरों में मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब कोई भी मीडियाकर्मी अस्पतालों की अव्यवस्था, संसाधनों की कमी और मरीजों की बदहाली को कैमरे में कैद नहीं कर सकता और न ही अखबार या चैनल में इसे दिखा सकता है।
यह आदेश लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है। अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी, दवाइयों का टोटा, जीवनरक्षक उपकरणों की अनुपलब्धता जैसी विकराल समस्याएं जब मीडिया की सुर्खियों में आने लगीं, तो सरकार ने इन वास्तविकताओं को छिपाने का तुगलकी तरीका अपनाया है। यह वही तरीका है जो आपातकाल के दौरान प्रेस की आवाज दबाने के लिए अपनाया गया था।
पत्रकार संगठनों ने इस आदेश को प्रेस की स्वतंत्रता, जनता के अधिकार और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि मीडिया पर पाबंदी लगाकर सरकार न सिर्फ अपनी नाकामी छिपा रही है, बल्कि आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी हनन कर रही है।
अगर सरकार ने यह आदेश वापस नहीं लिया, तो प्रदेशभर के पत्रकार संगठन जनहित में बड़ा आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य होंगे।
संपादक: रवि शंकर गुप्ता
N.भारत न्यूज़
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