📍 बस्तर का धुड़मारास बना विश्वस्तरीय ईको-टूरिज्म मॉडल
🗓️ रायपुर | 9 जुलाई 2025 | रिपोर्ट: N Bharat News
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का छोटा सा आदिवासी गांव धुड़मारास, अब वैश्विक पर्यटन नक्शे पर अपनी विशेष पहचान बना चुका है। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा इसे विश्व के 20 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में शामिल किया गया है।

🌱 प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का अद्भुत संगम
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत स्थित यह गांव, कांगेर नदी की सुरम्य धारा, हरियाली, जैव विविधता और बस्तरिया संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। अब यह गांव न केवल पर्यावरणीय संरक्षण बल्कि सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक बन गया है।
⚡ सौर ऊर्जा परियोजनाएं बनीं आत्मनिर्भरता की नींव
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में गांव में क्रेडा (CREDA) द्वारा अनेक सौर ऊर्जा परियोजनाएं लागू की गई हैं:
- 3 सोलर ड्यूल पंप से स्वच्छ पेयजल की सुविधा
- 2 हाईमास्ट सोलर लाइट से रात में रोशनी
- स्ट्रीट लाइट्स से गांव की गलियों में उजाला
- प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में सोलर विद्युत आपूर्ति
क्रेडा के अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सवन्नी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री राजेश राणा द्वारा इन कार्यों की नियमित निगरानी कर परियोजनाओं को गुणवत्ता के साथ पूरा कराया गया।
🎖️ भारत सरकार से मिला ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव’ का सम्मान
धुड़मारास और चित्रकोट गांव को विश्व पर्यटन दिवस पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा बेस्ट टूरिज्म विलेज के रूप में सम्मानित किया गया है।
⛺ ट्रैकिंग, राफ्टिंग और होम-स्टे बना आकर्षण का केंद्र
राज्य सरकार द्वारा यहां ट्रैकिंग ट्रेल, कैंपिंग साइट, होम-स्टे, और कयाकिंग व बांस राफ्टिंग जैसी साहसिक गतिविधियों की शुरुआत की गई है, जिससे युवाओं को स्थानीय रोजगार मिला है।
इसके साथ ही स्थानीय हस्तशिल्प, शिल्पकारों, और लोक कलाकारों को भी बाज़ार से जोड़ा जा रहा है।
🚻 बुनियादी सुविधाएं भी मजबूत
गांव में पर्यटकों के लिए प्रतीक्षालय, शौचालय, और अन्य आवश्यक सुविधाओं का भी विकास किया गया है। वन विभाग एवं पर्यटन विभाग मिलकर धुड़मारास को ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में सशक्त बना रहे हैं। इसी तर्ज पर नागलसर और नेतानार जैसे गांवों में भी ईको-पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।
💡 प्रेरणा बना धुड़मारास
यह गांव इस बात का सशक्त उदाहरण है कि शासन की योजनाएं यदि सामुदायिक भागीदारी से लागू की जाएं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव लाया जा सकता है। आज धुड़मारास पूरे बस्तर अंचल के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन चुका है।
📝 रिपोर्ट: N Bharat News / बस्तर ब्यूरो
