पंच से लेकर प्रधानमंत्री तक बीजेपी के क्या सभी की सहमति?
पिछली बार कार्यवाही के नाम पर हुई सिर्फ खानापूर्ति
इस भ्रष्टाचार में बीजेपी के नेता तथा उच्च अधिकारियों का हाथ?
कांग्रेस पार्टी एवं विकास उपाध्याय द्वारा 15 सितम्बर 2024 को एक बड़ा सनसनी क्षेत्र खुलासा करते हुए सरकार की लापरवाही को उजागर किया गया था, उस समय रियल बोर्ड पेपर मिल, सिलियारी में भारी मात्रा में स्कूली किताबों का जखीरा कबाड़ में मिला था – विकास उपाध्याय
N bharat,,,,रायपुर (छत्तीसगढ़)। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय द्वारा पूर्व में भी कबाड़ में मिले स्कूली किताब मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया गया था और आज फिर से उपाध्याय ने बताया कि राजधानी के विधानसभा मार्ग पर स्थित कबाड़ी की दुकान में छह प्रिंटरों की किताबें हफ्तों से वहाँ पहुँची मिली है जो कि 2025,2026 सत्र की है, जिस पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कार्यरत् उच्च अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं, यहाँ तक कि स्कूल शिक्षा विभाग की कमान संभाल रहे खुद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस मामले को लेकर मौन बैठे हैं।
उपाध्याय ने कहा शिक्षा के मंदिर को बदनाम करने भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है, स्कूली बच्चों को एक तरफ पुस्तकें खरीदने में काफी खर्च वहन करने पड़ते हैं और दूसरी तरफ इस तरह लगातार पुस्तकों का कबाड़ में मिलना बीजेपी के व्यापार में बड़े घोटाले की ओर ईशारा कर रहा है। क्योंकि फिर हजारों करोड़ रूपये से स्कूली किताब छपवाकर बड़ा घोटाला करके उसे कबाड़ में बेचकर पुनः मुनाफा कमाने का सिलसिला बीजेपी के नेताओं की संलिप्तता में हो रहा है।

विकास उपाध्याय द्वारा 15 सितम्बर 2024 को एक बड़ा सनसनी क्षेत्र खुलासा करते हुए सरकार की लापरवाही को उजागर किया गया था। उस समय रियल बोर्ड पेपर मिल, सिलियारी में भारी मात्रा में स्कूली किताबों का जखीरा मिला था। उसके पश्चात् राजनांदगांव के कबाड़ में भी लगभग 30 टन और 2 लाख किताबें मिली, जिसे जाँच अधिकारियों के समक्ष कबाड़ियों द्वारा कबूला गया कि पाठ्यपुस्तक निगम राजनांदगांव गोदाम से लगभग 30 टन किताबें अगस्त माह में खरीदी गई थी तथा स्टेट स्कूल परिसर में स्थित छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के गोदाम से करीब 2 लाख की किताबें अगस्त माह में ही कबाड़ियों को बेची गई थी। जिस मामले में पतासाजी करने पर पता चला कि यह किताबें रद्दी में बेची जा रही थीं, जिस मामले में एक बड़े भ्रष्टाचार की आशंका व्यक्त की गई थी जो सही साबित हुई। कबाड़ में मिले लाखों किताब से पूर्व विधायक विकास उपाध्याय एवं कांग्रेस पार्टी ने सरकार की उस कार्यवाही पर सवाल उठाया है जिसमें पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा को निलंबित किया गया था, विकास उपाध्याय ने कबाड़ में मिले किताब घोटाले मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित कमेटी पर पहले ही संशय व्यक्त किया था और इस कमेटी में दागी अधिकारियों को शामिल करने पर सवाल उठाए थे और वह सवाल सही साबित भी हुए। कमेटी के तीन सदस्य भ्रष्टाचार में संलिप्त थे जिसमें से एक सदस्य पाठ्यपुस्तक निगम के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश पर सरकार ने कार्यवाही करके विकास उपाध्याय के द्वारा लगाए गए आरोपों पर मोहर लगा दी थी। विकास उपाध्याय ने कहा कि इस पूरे मामले में जांच कमेटी ही संदिग्ध थी और सरकार जांच के नाम पर लीपा पोती कर अपने चेहरे की कालिक साफ करने में जुटी हुई थी जबकि पूरा मामला साफ था कि सिलियारी पेपर मिल में और फिर अभी विधानसभा मार्ग पर स्थित कबाड़ी दुकान में बरामद हुई किताबें भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पूर्ण भ्रष्टाचार को उजागर कर रही हैं।

विकास उपाध्याय ने इस पूरे मामले को उजागर करते हुए बताया कि, एक ओर पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को किताबों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, दूसरी ओर बिना बांटे किताबों को रद्दी में किलो के भाव बेचे जाने का यह मामला बताता है कि किताबें छापने और बांटने का भ्रष्टाचार का खेल कैसा चल रहा है। किताबें जितनी मात्रा में छपनी चाहिए थी उससे कहीं ज्यादा मात्रा में छापा गया और फिर एजेंसी द्वारा छापने की राशि सरकार से ले ली गई, फिर उन्हीं किताबों को रद्दी में बेच दिया जाता है। इस प्रकार दुगुनी कमाई शासन-प्रशासन में बैठे लोग एजेंसी के माध्यम से कर रहे हैं। सीधे-सीधे करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार इस पूरे प्रकरण में देखने को मिल रहा है और जब तक ऊपर से लेकर नीचे तक के लोग इस प्रकरण में संलिप्त नहीं रहेंगे तब तक ऐसे भ्रष्टाचार को अंजाम नहीं दिया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में लगातार माँ सरस्वती को अपमानित करने का कार्य बीजेपी की सरकार में हो रहा है। रायपुर के विधानसभा मार्ग स्थित कबाड़ी दुकान में छह प्रिंटरों की किताबें कबाड़ में फेंकी जा रही हैं। ये वही किताबें हैं, जो सरकार द्वारा छात्रों को मुफ्त वितरण के लिए खरीदी गई थीं। सरकार ने किताबें खरीदीं, लेकिन उन्हें छात्रों तक पहुंचाने के बजाय कबाड़ में बेच दिया। यह शिक्षा और बच्चों के भविष्य के साथ भारी भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण है। यह किताबें सर्व शिक्षा अभियान और छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित की गई थीं, जो छात्रों को निःशुल्क दी जानी थीं। इस मुद्दे को लेकर शीघ्र कांग्रेस पार्टी बड़ा आंदोलन करेगी। सवाल यह हैः कि “कबाड़ में फेंकी जा रही इन किताबों का जिम्मेदार कौन है?“ यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है।
