अब फास्टैग नहीं, GPS से कटेगा टोल! 1 मई से देशभर में लागू होगा GNSS आधारित नया सिस्टम
नई दिल्ली | 21 अप्रैल 2025
देश में सड़क यात्रा को सुगम और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। 1 मई 2025 से भारत में FASTag सिस्टम को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा और उसकी जगह GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू किया जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा कि अब वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। यह नई तकनीक न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि ईंधन और संसाधनों के बेहतर उपयोग को भी सुनिश्चित करेगी।
क्या है नया GNSS आधारित टोल सिस्टम?
GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम एक आधुनिक तकनीक है, जो सैटेलाइट्स के ज़रिए वाहनों की लोकेशन और मूवमेंट को ट्रैक करता है। इसके तहत वाहनों में एक विशेष डिवाइस — On Board Unit (OBU) या GPS ट्रैकर — लगाया जाएगा। यह डिवाइस वाहन की यात्रा की कुल दूरी को रिकॉर्ड करेगा और उसी आधार पर टोल की राशि तय होगी। यह राशि सीधे वाहन मालिक के डिजिटल वॉलेट या बैंक खाते से स्वचालित रूप से कटेगी।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
- वाहन में GPS आधारित OBU डिवाइस लगाया जाएगा।
- यह डिवाइस वाहन की लोकेशन, यात्रा की शुरुआत और अंत को GNSS सिस्टम के माध्यम से ट्रैक करेगा।
- वाहन द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल शुल्क कैलकुलेट होगा।
- यह शुल्क लिंक किए गए वॉलेट, बैंक खाते या UPI से स्वत: डिडक्ट हो जाएगा।
- टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी।
क्यों हटाया जा रहा है FASTag?
हालांकि FASTag ने देश में टोल कलेक्शन प्रक्रिया को डिजिटल और तेज़ बनाया था, लेकिन इसमें कई व्यावहारिक परेशानियाँ सामने आईं:
- टोल प्लाजा पर अभी भी लंबी कतारें लगती थीं।
- कई बार तकनीकी गड़बड़ियों के चलते फास्टैग स्कैन नहीं हो पाते थे।
- रुकावट के कारण यात्रा में अनावश्यक देरी होती थी।
- प्रणाली को और अधिक स्मार्ट तथा बाधारहित बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
नितिन गडकरी ने कहा, “FASTag सिस्टम एक महत्वपूर्ण सुधार था, लेकिन अब हमें इससे एक कदम आगे बढ़कर पूरी तरह डिजिटल, कैशलेस और रुकावट रहित प्रणाली की ओर बढ़ना होगा।”
GNSS आधारित टोल सिस्टम के फायदे:
- 100% डिजिटल प्रणाली: कोई नकद लेन-देन नहीं, सब कुछ डिजिटल तरीके से होगा।
- बाधारहित यात्रा: टोल प्लाजा समाप्त हो जाएंगे, जिससे समय और ईंधन की बचत होगी।
- सटीक टोल गणना: जितनी दूरी, उतना ही शुल्क — न कम, न ज़्यादा।
- विकल्पों की सुविधा: प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों तरह की पेमेंट सुविधा उपलब्ध होगी।
- देशभर में एक समान व्यवस्था: पूरे भारत में एक ही सिस्टम लागू होगा।
कब और कैसे लागू होगी नई नीति?
GNSS आधारित टोल सिस्टम को पहले 1 अप्रैल 2025 से लागू करने की योजना थी, लेकिन कुछ तकनीकी तैयारियों के चलते अब इसे 1 मई से पूरे देश में लागू किया जाएगा। नितिन गडकरी ने नागपुर में जानकारी देते हुए बताया कि इस नई प्रणाली के लिए नीति अगले 15 दिनों में घोषित कर दी जाएगी और वाहन मालिकों को OBU डिवाइस प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
क्या करना होगा वाहन मालिकों को?
- वाहन मालिकों को अपने वाहनों में मान्यता प्राप्त OBU डिवाइस इंस्टॉल करवाना होगा।
- डिवाइस को अपने बैंक खाते, UPI या डिजिटल वॉलेट से लिंक करना होगा।
- सिस्टम के लागू होते ही फास्टैग बेकार हो जाएगा, इसलिए OBU डिवाइस इंस्टॉल कराना अनिवार्य होगा।
सरकार का लक्ष्य क्या है?
सरकार का उद्देश्य केवल टोल वसूली को डिजिटल बनाना नहीं है, बल्कि पूरे देश की सड़क यात्रा प्रणाली को स्मार्ट, सुरक्षित और भविष्य के लिए तैयार बनाना है। सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का उपयोग कर ट्रैफिक मैनेजमेंट, दुर्घटनाओं की मॉनिटरिंग और सड़क संरचना की निगरानी को भी और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकेगा।
नितिन गडकरी ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि भारत की सड़कें विश्वस्तरीय हों और हमारी यात्रा प्रणाली पूरी तरह स्मार्ट हो। GNSS आधारित टोल प्रणाली उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
निष्कर्ष:
1 मई 2025 से भारत में सड़क यात्रा पूरी तरह से बदलने जा रही है। अब न टोल प्लाजा की लंबी कतारें होंगी, न रुकावट और न ही समय की बर्बादी। तकनीक के इस नए युग में GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम देश को डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और बड़ा कदम देगा।
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