डिस्ट्रिक्ट ब्यूरो चीफ – गिरधर लाल साहू
📍 लोकेशन: दुर्ग, छत्तीसगढ़📌 N भारत न्यूज़
दुर्ग। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) की प्रस्तावित खरसिया–नया रायपुर–परमलकसा रेल परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया का विरोध तेज हो गया है। मंगलवार को 300 से अधिक प्रभावित किसान और ग्रामीण सामूहिक रूप से जिला कलेक्टर कार्यालय पहुँचे और अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराते हुए दुर्ग शहर एसडीएम हितेश पिस्दा को कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा।
यह प्रदर्शन रेलवे परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित किया गया था। समिति ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को “अपारदर्शी, एकतरफा और मनमाना” बताते हुए 20 अगस्त 2025 को जारी उस आदेश को रद्द करने की मांग की, जिसके तहत प्रभावित क्षेत्रों की भूमि पर खरीदी-बिक्री, खाता विभाजन, अंतरण और व्यपवर्तन पर रोक लगाई गई है।
किसानों की प्रमुख आपत्तियाँ
- पुश्तैनी भूमि न देने का संकल्प: किसानों ने कहा कि उनकी कृषि योग्य पुश्तैनी भूमि आजीविका का एकमात्र साधन है, जिसे किसी भी हालत में नहीं छोड़ा जाएगा।
- संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: प्रतिबंध आदेश बिना ग्रामसभा की अनुमति और प्रभावितों की राय लिए जारी किया गया, जो संविधान के अनुच्छेदों के विपरीत है।
- पारदर्शिता का अभाव: किसानों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने अब तक परियोजना का संरेखण मानचित्र, मुआवजा नीति या पुनर्वास योजना की कोई जानकारी साझा नहीं की है।
- खुली जनसुनवाई की मांग: किसानों ने कलेक्टर से सभी प्रभावित ग्रामों में खुली और निष्पक्ष जनसुनवाई आयोजित करने की मांग की।
संघर्ष समिति के संयोजक ढालेश साहू बोले
“हम अपनी पुश्तैनी जमीन किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। प्रशासन ने बिना ग्रामसभा की अनुमति प्रतिबंध आदेश जारी किया है, जो पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। जब तक हमारी आपत्तियों पर ठोस कार्रवाई नहीं होगी, किसान शांत नहीं बैठेंगे।”
ज्ञापन के साथ किसानों ने अपने हस्ताक्षरयुक्त समर्थन पत्र और 20 अगस्त के प्रतिबंध आदेश की प्रति भी संलग्न की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा
