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रामपुर/रायपुर।
प्रदेश की 2058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारी अपनी लंबित तीन सूत्रीय जायज मांगों को लेकर एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शासन ने शीघ्र ही उनकी मांगों पर अमल नहीं किया तो आगामी खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में धान खरीदी का बहिष्कार किया जाएगा और अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ (रजि. क्रमांक-6685 रायपुर) की ओर से बताया गया कि शासन द्वारा नवंबर 2024 में मांगों पर विचार हेतु अंतरविभागीय समिति गठित की गई थी तथा खाद्य विभाग द्वारा फरवरी 2025 में शेष धान उठाव की अनुमति दी गई थी। इसके बावजूद आज तक कई समितियों में पिछले वर्ष का धान उठाव बाकी है। इससे समितियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है और कर्मचारियों पर एफआईआर तक दर्ज की जा रही है।
महासंघ ने लगभग 4 माह पूर्व मंत्रालय घेराव कर ज्ञापन सौंपा था, लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ।
कर्मचारी महासंघ की मुख्य तीन सूत्रीय मांगें :
- मध्यप्रदेश की तर्ज पर अनुदान – प्रदेश की 2058 समितियों को प्रति वर्ष 3-3 लाख रुपये प्रबंधकीय अनुदान राशि दी जाए, ताकि कर्मचारियों को वेतनमान, ग्रेजुएटी, महंगाई भत्ता, पेंशन व भविष्य निधि जैसी सुविधाएं मिल सकें।
- सेवा नियम 2018 का संशोधन – संशोधित वेतनमान लागू किया जाए। समिति प्रबंधकों की विभागीय भर्ती तत्काल प्रारंभ हो तथा जिला सहकारी बैंकों के तृतीय व चतुर्थ वर्ग के रिक्त पदों पर 50 प्रतिशत भर्ती समिति कर्मचारियों से की जाए।
- धान खरीदी में शून्य शॉर्टेज प्रोत्साहन – वर्ष 2023-24 व 2024-25 के दौरान हुई धान सुखत की राशि शासन द्वारा दी जाए। धान कमीशन, खाद, बीज, उपभोक्ता वस्तुओं, फसल बीमा आदि में चार गुना कमीशन वृद्धि की जाए तथा राशन वितरण पर प्रति क्विंटल 500 ग्राम क्षति पूर्ति अथवा प्रति माह 5000 रुपये विक्रेताओं को दिए जाएं।
कर्मचारियों का कहना है कि यदि मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वे मजबूर होकर धान खरीदी कार्य का बहिष्कार करेंगे।
