81 साल की उम्र में अंतिम सांस ली | दिल्ली में हुआ निधन | पूरा झारखंड शोक में डूबा
दिल्ली | 04 अगस्त 2025:
झारखंड की राजनीति के सबसे मजबूत और संघर्षशील चेहरे, आदिवासी समाज के मसीहा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से पूरे झारखंड और देशभर में शोक की लहर है।
🧓🏼 संघर्ष से सत्ता तक का सफर
शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक आंदोलन थे।
- 11 जनवरी 1944 को बिहार (अब झारखंड) के निमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन ने झारखंड को राज्य का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
- उन्होंने धनकट्टी आंदोलन के जरिए आदिवासी किसानों को साहूकारों से आज़ादी दिलाई।
- 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की और आदिवासी हितों की आवाज़ को संसद तक पहुँचाया।
🏛️ राजनीतिक जीवन की झलक
- तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे (2005, 2008-09, 2009-10)
- तीन बार केंद्र सरकार में कोयला मंत्री बने
- छह बार लोकसभा सांसद रहे, और 2020 से राज्यसभा सांसद थे
- ‘दिशोम गुरु’ के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन को झारखंड में जननायक का दर्जा प्राप्त था।
स्वास्थ्य खराब था, अस्पताल में चल रहा था इलाज
पिछले कुछ महीनों से उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था।
- उन्हें किडनी, हृदय और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं थीं
- हाल ही में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ था
- दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में वे डायलिसिस और निगरानी में थे।
हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर दी जानकारी
झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर लिखा –
“आज मैंने अपना सब कुछ खो दिया। बाबूजी नहीं रहे। दिशोम गुरु के बिना झारखंड अधूरा है।”
राष्ट्र स्तर पर शोक
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा:
“शिबू सोरेन जी आदिवासी समाज की आवाज़ थे। उनका संघर्ष हमेशा याद रहेगा। मैं उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट करता हूँ।”
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित देशभर के नेताओं ने श्रद्धांजलि दी।
⚖️ विवादों में भी रहे, लेकिन न्याय मिला
- वर्ष 1994 में अपने निजी सचिव शशिनाथ झा हत्याकांड में दोषी ठहराए गए
- उन्हें उम्रकैद हुई थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट से बरी कर दिए गए
- इस केस के दौरान भी उन्होंने राजनीति नहीं छोड़ी और संघर्ष जारी रखा।
🌿 विरासत हमेशा जीवित रहेगी
शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत, उनका संघर्ष और आदिवासी समाज के लिए उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।
वे झारखंड के दिल में हमेशा ‘दिशोम गुरु’ बनकर जीवित रहेंगे।
🔴 अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि कार्यक्रम
उनका पार्थिव शरीर रांची लाया जाएगा, जहाँ मुख्यमंत्री आवास पर आम लोगों के दर्शन के लिए रखा जाएगा।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होने की घोषणा की गई है।
🕊️ N भारत न्यूज़ परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि
“आपके द्वारा बोया गया संघर्ष का बीज आज पूरे झारखंड में फल‑फूल रहा है। आप हमेशा हमारे बीच रहेंगे दिशोम गुरु!”
