📍 रायपुर | विशेष संवाददाता
छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरियों के लिए फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर बड़े स्तर पर भर्ती घोटाले का खुलासा हुआ है। इस मामले में 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 नायब तहसीलदार और 154 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी शक के घेरे में हैं।
इस खुलासे के बाद प्रदेश के प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद सरकार ने दिव्यांग प्रमाणपत्रों की पुनः जांच का आदेश दिया था, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
जांच में चौंकाने वाले खुलासे
- लोरमी के एक व्याख्याता जिनके पास श्रवण बाधित प्रमाणपत्र था, जांच में सामान्य पाए गए।
- मुंगेली जिले में पिछले कुछ वर्षों में 300 से ज्यादा लोगों के बहरे होने के मामले सामने आए, जिनमें से 147 लोगों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है।
कार्रवाई में तेजी, पर सहयोग नहीं कर रहे आरोपी
सरकार के निर्देश के बावजूद कई आरोपी अधिकारी मेडिकल जांच से बच रहे हैं और कुछ ने कोर्ट की शरण ली है। अगली सुनवाई 20 अगस्त को होनी है।
फर्जीवाड़ा कई विभागों में फैला
जांच में जिन अधिकारियों पर संदेह है, उनमें:
- 52 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी
- 10 व्याख्याता
- 2 जनपद सीईओ
- 23 उप अभियंता
- वित्त विभाग के कई अधिकारी शामिल हैं।
दिव्यांग सेवा संघ का दावा है कि इस घोटाले के पीछे एक संगठित गिरोह है जो पैसे लेकर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार करता है।
🔴 सरकार ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। विभागों को आरोपी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने को कहा गया है।
