N bharat,,,, रायपुर में छत्तीसगढ़ के एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाये संयुक्त मंच के प्रान्तीय आह्वान पर ध्यानाकर्षण करने हेतु आज आज दिनांक 19 सितम्बर 2025 को रायपुर राजधानी मे धरना, सभा, रैली आयोजित कर यह ज्ञापन आपकी ओर प्रेषित कर रहे है।
छत्तीसगढ़ के एक लाख आंगनबाड़ी सहायिकाये कार्यकर्ता अपनी 8 सूत्री मांगों को लेकर एक दिवसीय ध्यानाकर्षण धरना प्रदर्शन विशाल रैली निकले
प्रमुख मांगे-
1. शासकीय कर्मचारी घोषित करो-वेश मे 50 वर्ष से लागू आई सी डी एस योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रो मे कार्यरत कार्यकर्ता सहायिकाओ को भी. शिक्षाकर्मी, पंचायत कर्मी. की तरह शासकीय करण की नीति बनाकर शासकीय कर्मचारी घोषित किया जावे और कार्यकर्ता को तृतीय श्रेणी और सहायिका को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जावे।

2-जीने लायक वेतन- शासकीय कर्मचारी घोषित होते तक पूरे देश मे एक समान वेतन कार्यकर्ता को प्रतिमाह 26000/- और सहायिका को 22100/-(कार्यकर्ता का 85%) शीघ्र लागू किया जावे।
3-पेशन. ग्रेज्युवेटु. समूह बीमा का लाभः- समाजिक सुरक्षा के रूप मे सेवानिवृत्ति पर सभी कार्यकर्ता सहायिकाओ को पेंशन. ग्रेज्युवेटी. समूह बीमा और कैशलेश चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जावे। 4-पदोन्नति का लाभः-सहायिका को कार्यकर्ता के पद पर और कार्यकर्ता को सुपरवाईजर के पद पर सिधे पदोन्नति दिया जावे। जिस तरह से सन् 1998-99 मे नीति बनाकर किया गया था।
5-मोबाईल. और नेट एवं डिजिटल कार्य मे असुविधाः- सरकार द्वारा वर्तमान मे पोषण ट्रेकर. THR वितरण मे फेस केप्चर कार्यकर्ता सहायिकाओ के उपस्थिति का फेस केप्चर FRS और c-KYC के माध्यम से केन्द्र के सभी कार्य को डिजिटल किया गया है. जिससे हितग्राहियो को और कार्यकर्ता सहायिकाओ को कई ब्यवहारिक परेशानी और कठिनाईयो का सामना करनी पड़ रही है. इसे बंद कर आफ लाईन सभी कार्य लिया जावे। या फिर 5 जी. मोबाईल. नेट भत्ता और पर्याप्त नेट सुविधा उपलब्ध कराई जावे।
6:-मंहगाई भत्ता दिया जावे* मान. उच्च न्यायालय गुजरात द्वारा ग्रेज्युवेटी और न्यूनतम वेतन के संबध मे पारित निर्णय को छत्तीसगढ़ मे भी लागू किया जावे। और इसे मंहगाई भत्ता से जोड़ा जावे।
7:-पेंशन. ग्रेजुवेटि और समूह बीमा का लाभ:- 35-40 वर्ष विभाग की सेवा करने के बाद भी बुढ़ापे के समय जीवन यापन हेतु ना तो कोई पेंशन मिल रहा है और ना ही एक मुश्त राशि कार्यकर्ता
को ₹10000/और सहायिका को ₹8000/मासिक पेंशन और बुढ़ापे के शेष जीवन यापन के लिए कार्यकर्ता को 5 लाख रुपयेऔर सहायिका को 4 लाख रुपये एक मुस्त ग्रेजुवेटि राशि प्रदान किया जावे। साथ ही समूह बीमा योजना लागू किया जावे।
8-अनुकंपा नियुक्ति :- कार्यकर्ता सहायिका के आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवार के एक सदस्य को
अनुकंपा नियुक्ति दिया जावे।
आशा करते हैं कि हमारी उक्त सभी मांगो का निराकरण करने की कृपा करेगे. हम सब आपका हमेशा अग्रभारी रहेगे।
4- माननाया श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़ जा
मंत्री.महिला एवं बाल विकास विभाग.छ.ग.शासन. महानदी मंत्रालय भवन. नवा रायपुर
द्वारा:- श्रीमान् कलेक्टर. जिला – रायपुर. छत्तीसगढ़।
*विषयः- हमारी मूलभूत और बुनियादी सुविधाओ पर सहानुभुति पूर्वक विचार कर पूरा करने बाबत्।
आदरणीय महोदय.
सर्व प्रथम विनम्रता के साथ यह अवगत हो कि हम भी भारत के नागरिक है और अपने अपने क्षेत्र मे महिला मतदाता भी है, देश मे 2 अक्टूबर 1975 को जब से आई सी डी एस की स्थापना हुई है, तब से आंगनबाड़ी केन्द्रो मे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओ के रूप में केन्द्र और राज्य सरकार को सेवाये दे रहे है. हर योजना को घर घर और जन जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। लेकिन सेवायें 50 वर्ष होने के बावजूद भी हम महिलाओ को ना तो कर्मचारी का दर्जा मिल पाया है और ना ही श्रमिक मजदूर का और ना ही हमे अब तक न्यूनतम मजदूरी पेशन ग्रेज्युवेटी. समूह बीमा. चिकित्सा और सम्मान जैसी कोई बुनियादी सुविधा मिल रहा है. हम देश के लगभग 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाये इन 50 वर्षों मे लगातार समय समय पर शासन का ध्यानाकर्षण करते आ रहे हैं।
दुखद बात यह है कि इन 50 वर्षों मे केन्द्र सरकार की ओर से पाश्रर्मिक मानदेय के रूप मे कार्यकर्ता को रू 4500/- एवं सहायिका को रू.2250/- दिया जा रहा जो न्यूनतम वेतन से काफी कम है, इसे जीने लायक वेतन कदापी नही कहा जा सकता. इसके अलावा और कोई सुविधा ना मंहगाई भत्ता.ना पेशन. ग्रेज्युवेटी.ना समूह बीमा.ना चिकित्सा प्रतिपूर्ति और ना ही पदोन्नति। जब हम अपनी इन बुनियादी सुविधाओ की मांग करते है तो केन्द्र की सरकार राज्य पर राज्य की सरकार केन्द्र के कर्मचारी है कहकर पलड़ा झाड़ लेते है और अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करती हैं। लेकिन वर्तमान मे अब केन्द्र. और छत्तीसगढ़ राज्य दोनो स्थान मे आपकी ही सरकार है. तो दोनो मिलकर हमारी निम्न मांगो और मन की पिड़ा को महसूस करते हुये पूरा करने की कृपा करेगें।
