पूर्व उपमुख्यमंत्री: टीएस सिंहदेव का बयान, रेणुका सिंह के साथ हुआ था अन्याय, अब मौका मिलना चाहिए मुख्यमंत्री की दौड़ में भी चल रहा था रेणुका सिंह का नाम,

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N bharat,,,/अंबिकापुर छत्तीसगढ़ की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बड़ा और सधा हुआ बयान दिया है। अंबिकापुर में मीडिया से बातचीत के दौरान सिंहदेव ने भाजपा सरकार की देरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि “मंत्री मंडल का विस्तार न होना सीधे तौर पर आम जनता के हितों पर असर डाल रहा है।” सिंहदेव ने कहा कि, “रेणुका सिंह के साथ पहले अन्याय हुआ था, अब उन्हें न्याय मिलना चाहिए। वे योग्य हैं और उन्हें अवसर दिया जाना चाहिए।” उनके इस बयान ने भाजपा खेमे में हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि सिंहदेव स्वयं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं, और अब भाजपा के चेहरों के समर्थन में उतरना एक राजनीतिक संदेश देता है।

 

मंत्री पदों पर सिंहदेव की ‘पसंद’ की लिस्ट :

 

 

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने नाम लेकर चार नेताओं को मंत्री पद के लिए उपयुक्त बताया —

 

रेणुका सिंह

 

लता उसेंडी

 

राजेश मूणत

 

अमर अग्रवाल

 

जनता पर पड़ रहा सीधा असर

 

टीएस सिंहदेव ने सीधा आरोप लगाया कि चार मंत्री पद खाली होने के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। “जनता से जुड़े अहम फैसले लटक रहे हैं, योजनाओं की गति धीमी हो गई है।” उन्होंने कहा कि यदि सरकार गंभीरता से काम करना चाहती है तो मंत्रिमंडल विस्तार में देरी नहीं होनी चाहिए।

 

“अंदरूनी उठा-पटक से सरकार घिरी हुई है”

सबसे तीखा बयान तब आया जब सिंहदेव ने भाजपा के अंदरूनी हालात पर निशाना साधा। उन्होंने कहा “सरकार मंत्रिमंडल विस्तार नहीं कर पा रही है क्योंकि अंदर ही अंदर उठा-पटक मची हुई है… और इस स्थिति से हम खुश हैं।”इस बयान के सियासी मायने दूरगामी हो सकते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी भाजपा के अंदर चल रही गुटबाजी की ओर इशारा करती है। सिंहदेव का यह बयान न केवल भाजपा पर दबाव बनाने का प्रयास है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विपक्ष अभी भी सक्रिय है और सत्ता के खाली हिस्सों पर निगाह बनाए हुए है। साथ ही, जिन नेताओं का नाम उन्होंने सुझाया है, वे भी आने वाले दिनों में चर्चा में रहेंगे। छत्तीसगढ़ की राजनीति में अब निगाहें मंत्रिमंडल विस्तार की संभावित घोषणा और भाजपा की अगली रणनीति पर टिक गई हैं।

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