N bharat,,,,रायपुर।
राजधानी रायपुर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय का बॉयज हॉस्टल एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार मामला बेहद गंभीर है—जहाँ छात्राओं ने मानसिक उत्पीड़न, मानहानि और सुरक्षा में भारी चूक की बात कही है। पीड़ित छात्राओं के अनुसार यह सिलसिला कोई एक दिन की बात नहीं, बल्कि लंबे समय से जारी था, लेकिन जब उन्होंने इसकी शिकायत बॉयज हॉस्टल के वॉर्डन देवाशीष पाटिल से की, तब भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई।
*क्या यह चुप्पी जानबूझकर है ?*
हॉस्टल में रहने वाली छात्रा, जो दूरदराज के गांव से अपने सुनहरे भविष्य के सपने लेकर विश्वविद्यालय आई थी, उन्हें क्या पता था कि यहां उन्हें उत्पीड़न, व्यक्तिगत टिप्पणियों और लगातार मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ेगा। ऐसी घटनाओं पर जब शिकायत की गई, तब वॉर्डन पाटिल का व्यवहार पूरी तरह से उदासीन और असंवेदनशील नजर आया।
*शराब, नशा और हॉस्टल प्रशासन की मिलीभगत ?*
बॉयज हॉस्टल के कई छात्रों और कर्मचारियों ने यह खुलासा किया है कि हॉस्टल में नियमित रूप से शराब और नशीले पदार्थों का सेवन होता है। यह गतिविधियां खुलेआम चलती हैं और इनमें हॉस्टल के कुछ कर्मचारी भी शामिल होते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या वॉर्डन की निगाहें इससे अनजान हैं? या फिर यह सब कुछ उनकी नाक के नीचे, उनकी शह पर हो रहा है?
*फोन नहीं उठाते वॉर्डन, ज़िम्मेदारी कौन लेगा ?*
छात्रों और गार्ड्स ने बताया कि वॉर्डन देवाशीष पाटिल रात 9 बजे के बाद फोन उठाना भी बंद कर देते हैं। यदि किसी दिन हॉस्टल में कोई बड़ा हादसा हो जाए, या किसी की जान चली जाए तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या वॉर्डन को इस तरह की जिम्मेदार भूमिका में बने रहने दिया जाना चाहिए ?
*कार्रवाई कब ? या फिर फिर से चुप्पी ?*
अब यह देखना बेहद अहम होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस पूरे मामले में वॉर्डन के खिलाफ क्या कार्यवाही करता है। क्या उन्हें निलंबित किया जाएगा? क्या कोई निष्पक्ष जांच होगी ? या यह मामला भी ढांप दिया जाएगा ?
हम मीडिया की जिम्मेदारी से यह खबर बार-बार उठाएंगे, जब तक पीड़ितों को न्याय और दोषियों को दंड नहीं मिलता। हम किसी छात्र की जान चली जाने के बाद आँसू नहीं बहाना चाहते।
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