शैलेश सिंह राजपूत / ब्यूरो चीफ, तिल्दा-नेवरा
क्षेत्र को एक और कैबिनेट मंत्री मिलने से फिज़ा पूरी तरह बदल गई है। भाजपा की स्थानीय राजनीति में सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं, तो वहीं संगठन के अंतर्विरोध भी सतह पर आने लगे हैं।
गुरू खुशवंत साहेब के मंत्री बनने के बाद प्रथम तिल्दा-नेवरा आगमन पर जबरदस्त स्वागत हुआ। नगर के चौक-चौराहों पर कार्यकर्ताओं और विभिन्न समाजों के लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। लंबे समय से नाखुश बैठे भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में अचानक जोश का संचार दिखाई दिया।
लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि आख़िर राजस्व मंत्री टकराम वर्मा के प्रथम नगर आगमन पर यही उत्साह क्यों नहीं दिखा? क्या स्थानीय कार्यकर्ता उनके नेतृत्व से असंतुष्ट हैं, या फिर वे संगठन में किसी “मोहरे” की तरह इस्तेमाल किए जा रहे हैं?
नगर की राजनीति में भाजपा के दो खेमों की जंग साफ दिखाई दी। एक खेमा वरिष्ठ पदाधिकारियों के इर्द-गिर्द सक्रिय है तो दूसरा खेमा नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष की अगुवाई में है। मंत्री गुरू खुशवंत साहेब के स्वागत समारोह को दूसरा खेमा शक्ति-प्रदर्शन के तौर पर देख रहा है, जबकि पहले खेमा के नाराज़ कार्यकर्ता भी इसमें शामिल हो गए।
अब हालात यह हैं कि एक ही क्षेत्र से दो कैबिनेट मंत्री ताल्लुक रखते हैं – और स्थिति “एक म्यान में दो तलवार” वाली बन गई है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा संगठन नाराज़ कार्यकर्ताओं की असंतोष लहर को कैसे शांत करता है।
