संवाददाता: सौरभ साहू
स्थान: प्रतापपुर, जिला सूरजपुर
प्रतापपुर जनपद पंचायत में विवादित अधिकारी जय गोविंद गुप्ता को मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) का प्रभार सौंपे जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस फैसले का जनप्रतिनिधियों और पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा तीखा विरोध किया जा रहा है। मामले ने अब राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
जनपद पंचायत अध्यक्ष सुखमनिया आयाम, उपाध्यक्ष, कई जनपद सदस्य और बहुसंख्यक ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने रायपुर स्थित आदिम जाति कल्याण विभाग के मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने मांग की है कि जय गोविंद गुप्ता की प्रतापपुर में पदस्थापना को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए, अन्यथा उग्र जन आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
ज्ञापन में गंभीर आरोप और आशंकाएं
ज्ञापन में जनप्रतिनिधियों ने लिखा है कि प्रतापपुर जनपद पंचायत ने हाल के वर्षों में विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं और यह जनपद अब प्रदेश ही नहीं, देश में चौथे स्थान पर पहुंच चुका है। वर्तमान प्रभारी सीईओ डॉ. नृपेंद्र सिंह ने पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए हैं, जिससे कुछ सरपंच जरूर असंतुष्ट हुए, लेकिन जनपद की प्रगति में उनकी भूमिका को सराहा गया है।
इस पृष्ठभूमि में, एक विवादित और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे अधिकारी को प्रतापपुर में पदस्थ करना जनप्रतिनिधियों को अस्वीकार्य है।
जय गोविंद गुप्ता पर क्या हैं आरोप?
गौरतलब है कि जय गोविंद गुप्ता पूर्व में मैनपाट जनपद में सीईओ पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना की ₹11.60 लाख की राशि गबन करने के आरोपी हैं। उनके खिलाफ थाना कमलेश्वरपुर में धारा 420 और 409 (भारतीय दंड संहिता) के तहत अपराध क्रमांक 55/24 दर्ज है। यह मामला फिलहाल उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन है।
जनता का रोष और आंदोलन की चेतावनी
जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा है कि यदि जय गोविंद गुप्ता को प्रतापपुर का सीईओ बनाया गया, तो वे चुप नहीं बैठेंगे। जनपद स्तर से लेकर जिला और राज्य स्तर तक जोरदार विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। उनका नारा—“विवादित सीईओ हटाओ, प्रतापपुर बचाओ”—अब जनआंदोलन का रूप लेने जा रहा है।

स्थिति अब प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है। देखना यह होगा कि शासन इस विवाद को कैसे सुलझाता है और क्या जनप्रतिनिधियों की मांगों को तवज्जो दी जाएगी।
