📰 पत्रकारिता पर हमला:
📍 बीजापुर | N भारत न्यूज़ डेस्क | 30 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। लोक निर्माण विभाग (PWD) के पांच अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी न केवल प्रशासनिक तंत्र की सड़ांध को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सच्चाई की कीमत आज भी जान से चुकानी पड़ रही है।
🔎 मामले की जड़ में है भ्रष्टाचार का पर्दाफाश
मुकेश चंद्राकर, बीजापुर जैसे संवेदनशील इलाके में बिना डरे सड़क निर्माण से जुड़े भारी भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे। उनकी रिपोर्टें लगातार सोशल मीडिया और वीडियो प्लेटफॉर्म्स पर सामने आ रही थीं, जिनमें घटिया निर्माण कार्यों की तस्वीरें और स्थानीय जनता की पीड़ा को उजागर किया गया था।
पुलिस जांच में सामने आया है कि मुकेश के इन खुलासों से PWD अफसरों और ठेकेदारों की सांठगांठ बेनकाब हो रही थी, जिससे बौखलाकर उनके रिश्तेदार व ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने हत्या की साजिश रची, और इसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है।
👮♂️ गिरफ्तार हुए अधिकारी
पुलिस ने जिन 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, वे इस प्रकार हैं:
- आर. साहू – सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता
- वी. के. चौहान – सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता
- एच. एन. पात्र – वर्तमान EE
- प्रमोद सिंह कंवर – SDO, बीजापुर
- संतोष दास – उप अभियंता, जगदलपुर
सभी को दो दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है, और इनसे गहन पूछताछ जारी है।
🕵️♂️ मास्टरमाइंड की पहचान और पहले से गिरफ्तार आरोपी
इस हत्याकांड में मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर, जो मृतक का ही रिश्तेदार और स्थानीय ठेकेदार है, को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था।
इसके अलावा अग्रिम जमानत पर चल रहे अफसरों में शामिल हैं:
- बी. एल. ध्रुव – मुख्य अभियंता
- एसडीओ के. सिन्हा
- उप अभियंता जी. एस. कोडोपी
🧱 सेप्टिक टैंक में मिली लाश – सुनियोजित हत्या की कहानी
1 जनवरी 2025 को मुकेश चंद्राकर अचानक लापता हो गए थे।
3 जनवरी को उनकी लाश एक बंद पड़े सेप्टिक टैंक से बरामद हुई।
जांच में खुलासा हुआ कि यह कोई सामान्य हत्या नहीं बल्कि सच्चाई को दबाने की साजिश थी।
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रिया और प्रशासनिक सख्ती
राज्य के डिप्टी सीएम और लोक निर्माण मंत्री अरुण साव के निर्देश पर इस मामले में सख्त कार्रवाई शुरू की गई।
एएसपी चंद्रकांत गोवर्ना ने बताया कि—
“यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है, जिसमें विभागीय स्तर पर भ्रष्टाचार की गहरी परतें खुल रही हैं।”
✍️ पत्रकारिता की कीमत: सच्चाई पर हमला
मुकेश चंद्राकर उन चुनिंदा पत्रकारों में थे जो नक्सल क्षेत्रों में ज़मीनी सच्चाई उजागर करने का साहस रखते थे।
उनकी रिपोर्टिंग में न सड़क बची, न स्कूल, न स्वास्थ्य विभाग – हर अनियमितता पर उन्होंने आवाज़ उठाई।
परिणामस्वरूप, भ्रष्टतंत्र ने उन्हें खत्म कर देना ही रास्ता समझा।
📌 निष्कर्ष:
यह घटना न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए एक आईना है, जिसमें सवाल उठता है—
“क्या अब भी सच्चाई की आवाज़ को जिंदा रहने का हक है?”
N भारत न्यूज़ पत्रकार मुकेश चंद्राकर को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और पत्रकारिता के इस संघर्षपूर्ण मार्ग पर अडिग रहने की प्रतिज्ञा करता है।
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🕊️ सच्चाई का साथ कभी मत छोड़िए, क्योंकि पत्रकारिता अब लड़ाई बन चुकी है।
