दुर्ग, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य प्रशासन पारदर्शिता, सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। लेकिन दुर्ग जिला खाद्य विभाग की कार्यशैली इन उद्देश्यों को ठेंगा दिखाती प्रतीत हो रही है।


मामला है राशन दुकान क्रमांक 1051 और 1022 का, जहां स्पष्ट पक्षपात और संभावित भ्रष्टाचार की बू आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक, दुकान क्रमांक 1051 पर विभाग द्वारा दो से तीन बार नोटिस जारी कर जांच प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है, वहीं दुकान क्रमांक 1022 को अब तक किसी प्रकार की नोटिस या कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा है।
आरोप यह भी है कि विभागीय अधिकारियों को आर्थिक लाभ पहुंचाकर दुकान 1022 के खिलाफ कार्रवाई रोकी गई है, जिससे यह संदेह पुख्ता होता जा रहा है कि विभाग की निष्पक्षता सिर्फ कहने भर की बात है।
पिछले वर्षों में भी पूर्व खाद्य नियंत्रकों पर कार्यवाही में भेदभाव और फाइल दबाने जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं, जो आज एक बार फिर उसी पुराने रवैये की पुनरावृत्ति का संकेत दे रहे हैं। ऐसे में दुर्ग खाद्य विभाग की विश्वसनीयता और पारदर्शिता दोनों ही सवालों के घेरे में है।
👁🗨 क्या भदौरिया साबित कर पाएंगे ईमानदारी?
हाल ही में दुर्ग जिले में पदस्थ हुए खाद्य नियंत्रक भदौरिया के लिए यह पहला बड़ा इम्तिहान बनकर सामने आया है। अब देखना यह है कि वे इस प्रकरण में निष्पक्षता दिखाते हुए दोनों दुकानों के खिलाफ समान कार्रवाई करते हैं या नहीं।
यदि भदौरिया बिना किसी दबाव के तटस्थ जांच कर दोषियों को सजा दिलाते हैं, तो यह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की भ्रष्टाचार विरोधी नीति की जीत मानी जाएगी।
अन्यथा यह मामला भी विभागीय फाइलों की धूल में दबकर रह जाएगा, और आमजन का सरकार से भरोसा डगमगा जाएगा।
📌 निष्कर्षतः, यह मामला केवल एक विभागीय गड़बड़ी नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की पारदर्शी शासन व्यवस्था की परीक्षा भी है। शासन को चाहिए कि वह ऐसे मामलों को गंभीरता से लेकर तत्काल प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि जनविश्वास बना रहे और सुशासन की नींव और मजबूत हो।
