रायपुर।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक नए आदेश ने मीडिया जगत में उबाल ला दिया है। आदेश के अनुसार अब राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल में मीडियाकर्मियों का रोगियों के वार्ड या संवेदनशील क्षेत्रों में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही, किसी भी रोगी की पहचान, नाम या बीमारी की जानकारी तब तक उजागर नहीं की जा सकेगी, जब तक इसकी कानूनी आवश्यकता न हो।
इस आदेश में मीडिया की कवरेज को जनसंपर्क अधिकारी की पूर्व अनुमति से जोड़ दिया गया है और लाइव रिपोर्टिंग के लिए विशेष समय और स्थान निर्धारित किए गए हैं। विभाग का दावा है कि इसका मकसद अस्पताल की कार्यप्रणाली को बाधित होने से बचाना है, लेकिन पत्रकारों का आरोप है कि इसके पीछे सरकारी अस्पतालों की खामियों को छिपाने की मंशा है।
पत्रकारों ने इस आदेश के विरोध में अंबेडकर चौक स्थित अंबेडकर प्रतिमा के सामने उसकी प्रतियां जलाकर प्रदर्शन किया और स्वास्थ्य विभाग को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि आदेश वापस नहीं लिया गया, तो राज्यव्यापी विरोध आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी गई है।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस आदेश को लोकतंत्र पर हमला करार दिया और कहा कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए मीडिया की आवाज दबा रही है। रायपुर प्रेस क्लब ने भी इस आदेश की निंदा करते हुए इसे ‘गैर लोकतांत्रिक’ और ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात’ बताया।
इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश में मीडिया बनाम शासन की एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता और जनहित पत्रकारिता के मूल सिद्धांत केंद्र में हैं।
