प्रदेश में शून्य दर्ज संख्या वाली 211 शालाएं शिक्षकों की तैनाती के बावजूद छात्र नही दूरस्थ स्कूलों में शिक्षकों की कमी से गिरा परीक्षा परिणाम*
N bharat ,,,,,रायपुर 28 मई 2025/
छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तुत युक्तियुक्तकरण रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में कुल 211 शासकीय विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी विद्यार्थी नहीं है, जबकि इन विद्यालयों में शिक्षक तैनात हैं।
*शून्य छात्र संख्या, फिर भी शिक्षक पदस्थ*

जिलेवार आंकड़ों पर नजर डालें तो सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड की शासकीय प्राथमिक शाला साजाभवना और हर्राटिकरा इसका उदाहरण हैं। साजाभवना स्कूल में एक भी छात्र नहीं है, फिर भी एक सहायक शिक्षक यहां कार्यरत हैं। वहीं हर्राटिकरा स्कूल में शून्य दर्ज संख्या के बावजूद एक प्रधान पाठक एवं दो सहायक शिक्षक कार्यरत हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि ऐसे विद्यालयों की प्रासंगिकता समाप्त हो चुकी है और यहां पदस्थ शिक्षकों को आवश्यकता वाले विद्यालयों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
*दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की भारी कमी*
वहीं दूसरी ओर राज्य के दूरस्थ और दुर्गम अंचलों में शिक्षकों की भारी कमी देखने को मिल रही है, जिसका सीधा असर विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर पड़ रहा है। जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के अंतर्गत आने वाले शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुंवारपुर में विषयवार शिक्षक नहीं होने से वर्ष 2024-25 में हायर सेकंडरी परीक्षा का परिणाम महज 40.68 प्रतिशत रहा। यह आंकड़ा राज्य के औसत परीक्षा परिणाम से काफी कम है।

*मुख्यमंत्री के प्रवास के दौरान ग्रामीणों ने उठाई आवाज*
कुंवारपुर प्रवास के दौरान स्वयं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के समक्ष ग्रामीणों ने शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से विज्ञान, गणित एवं अंग्रेज़ी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, जिससे विद्यार्थियों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं मिल पा रही।
*शिक्षा विभाग ने शुरू की पुनर्संरचना प्रक्रिया*
इन हालातों को देखते हुए शिक्षा विभाग अब युक्तियुक्तकरण के तहत ऐसे विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की पुनः पदस्थापन कर रहा है, जहां उनकी वास्तव में आवश्यकता है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, जल्द ही शिक्षक युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी, जिससे शिक्षा व्यवस्था को बेहतर किया जा सके।
*विशेषज्ञों की राय*
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम लंबे समय से आवश्यक था। जहां एक ओर शिक्षकविहीन विद्यालय जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बिना छात्रों वाले स्कूलों में शिक्षकों का उपयोग नही हो पा रहा था। यदि युक्तियुक्तकरण पारदर्शी तरीके से किया जाए, तो इससे शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिल सकती है।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा सुधार की नई पहल: युक्तियुक्तकरण के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और छात्र-केंद्रित बनाने की दिशा में ठोस कदम*
*बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता – मुख्यमंत्री श्री साय*
रायपुर 28 मई 2025/ मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को उत्कृष्ट स्वरूप प्रदान करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को प्राथमिकता से लागू करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के पीछे शिक्षा विभाग की वह समीक्षा रिपोर्ट है, जिसमें राज्यभर के सरकारी स्कूलों में संसाधनों के असमान वितरण की गंभीर स्थिति सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 211 शासकीय विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी छात्र दर्ज नहीं है, फिर भी वहां नियमित शिक्षक पदस्थ हैं। इससे न केवल शैक्षणिक संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि आवश्यकता वाले विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
उदाहरण के लिए, सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड की प्राथमिक शाला साजाभवना में कोई छात्र नहीं है, जबकि एक सहायक शिक्षक वहां कार्यरत हैं। इसी तरह हर्राटिकरा स्कूल में भी छात्र संख्या शून्य है, लेकिन वहां एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक पदस्थ हैं।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे विद्यालयों की प्रासंगिकता समाप्त हो चुकी है, और अब वहां से शिक्षकों को तत्काल उन स्कूलों में नियोजित किया जाएगा जहां उनकी आवश्यकता है।
दूसरी ओर राज्य के अनेक दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों में वर्षों से शिक्षक संकट की स्थिति बनी हुई है। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुंवारपुर में विषयवार शिक्षक न होने के कारण वर्ष 2024-25 में कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम महज 40.68 प्रतिशत रहा, जो राज्य औसत से बहुत कम है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जब कुंवारपुर प्रवास पर थे, तब ग्रामीणों ने उनके समक्ष शिक्षक नियुक्तियों की मांग पुरज़ोर ढंग से रखी। ग्रामीणों ने कहा कि गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी जैसे विषयों के लिए वर्षों से शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, जिससे विद्यार्थियों की शिक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस मांग को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि जहां शिक्षक अनुपयोगी रूप से पदस्थ हैं, वहां से उन्हें शीघ्रता से जरूरतमंद स्कूलों में भेजा जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षक वहीं तैनात हों जहां छात्र हैं – यही सुशासन की प्राथमिक शर्त है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सशक्त करने का अभियान है। उन्होंने कहा कि हम उस व्यवस्था की नींव रख रहे हैं, जहाँ शिक्षक और छात्र दोनों अपनी सही जगह पर हों। युक्तियुक्तकरण इस परिवर्तन की वह कुंजी है, जो वर्षों की उलझनों को सुलझाएगी और शिक्षा को नई ऊँचाई देगी।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय समय की माँग है। यदि इसे निष्पक्षता और डेटा-आधारित पद्धति से लागू किया जाए, तो छत्तीसगढ़ की शिक्षा प्रणाली देश में एक आदर्श मॉडल बन सकती है।
मुख्यमंत्री श्री साय के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने तुरंत युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को सक्रिय किया है, जिसमें पारदर्शिता, मानवीय दृष्टिकोण और स्कूलों की जरूरत को प्राथमिक आधार बनाया गया है। इस कदम से एक ओर शिक्षकविहीन स्कूलों को शिक्षक मिल सकेंगे, वहीं दूसरी ओर छात्रविहीन विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना को रोका जा सकेगा। यह पुनर्संरचना शिक्षा प्रणाली को संतुलित, कुशल और परिणामोन्मुखी बनाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार का युक्तियुक्तकरण का निर्णय महज़ व्यवस्थागत सुधार नहीं, बल्कि शिक्षा को सार्थक और समावेशी बनाने की ऐतिहासिक पहल है। यह उस सोच का प्रतिबिंब है जो कहती है – शिक्षा वहां शुरू होती है, जहां शिक्षक और छात्र दोनों उपस्थित हों – एक उत्तम उद्देश्य के साथ स्वर्णिम भविष्य की ओर अग्रसर होते हुए, इस प्रेरणा के साथ कि हर पाठशाला देश की अगली पीढ़ी का निर्माण स्थल है।
