फर्जी दस्तावेज़ से शकुंतला का चुनाव? राजनीति गरमाई — आदिवासी समाज में भारी आक्रोश
संवाददाता – सौरभ साहू
लोकेशन – सूरजपुर, छत्तीसगढ़
दिनांक – 14/11/2025
सूरजपुर जिले की प्रतापपुर विधानसभा से भाजपा विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। इस बार आरोप सीधे-सीधे फर्जी जाति प्रमाण पत्र से चुनाव लड़ने और जीतने का है। यह आरोप लगाया है प्रदेश के वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने।
एक आदिवासी समाज की सभा में बोलते हुए डॉ. टेकाम ने कहा—
“शकुंतला सिंह पोर्ते का जाति प्रमाण पत्र प्रथम दृष्टया फर्जी प्रतीत होता है। यह आदिवासी समाज का अपमान है।”
बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

गंभीर आरोप — ‘मूल रूप से उत्तर प्रदेश की निवासी’
सभा में डॉ. टेकाम ने दावा किया कि—
- विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते मूल रूप से उत्तर प्रदेश की निवासी हैं।
- ऐसे में छत्तीसगढ़ में उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग का लाभ नहीं दिया जा सकता।
- यदि गलत दस्तावेज़ के आधार पर चुनाव लड़ा गया है, तो यह कानूनी अपराध और आदिवासी समाज के अधिकारों का हनन है।
सभा में मौजूद सैकड़ों आदिवासी प्रतिनिधियों ने इस आरोप पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की।

समाज ने बनाई ‘खोजबीन समिति’
सभा में निर्णय लिया गया कि—
- विधायक के जाति प्रमाण पत्र,
- जन्म स्थान,
- मूल निवासी प्रमाण,
- और अन्य दस्तावेज़ों की जांच के लिए समिति गठित होगी।
- समिति की रिपोर्ट जिला प्रशासन, कलेक्टर और आयोगों को सौंपी जाएगी।
समाज के नेताओं ने कहा—
“यदि प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया तो समाज खुद FIR दर्ज कराएगा और विधायक पद अमान्य कराने की लड़ाई लड़ेगा।”
ST आयोग की गंभीर प्रतिक्रिया
ST आयोग के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने भी इस मामले को “बेहद गंभीर” बताया। उन्होंने कहा—
“फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर चुनाव जीतना समाज और संविधान दोनों का अपमान है। त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।”
आयोग की प्रतिक्रिया से मामला और संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल हो गया है।
विपक्ष का भाजपा पर तीखा हमला
विपक्ष ने भाजपा को घेरते हुए सवाल उठाए हैं—
- क्या भाजपा को इस मामले की पहले से जानकारी नहीं थी?
- यदि थी, तो ऐसे उम्मीदवार को टिकट कैसे दिया गया?
- क्या पार्टी ने फर्जी दस्तावेज़ों को संरक्षण दिया?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद अब सिर्फ एक विधायक तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भाजपा की उम्मीदवार चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं।
वाड्रफनगर से रायपुर तक ‘राजनीतिक आग’
वाड्रफनगर क्षेत्र में शुरू हुआ यह मुद्दा अब—
- प्रतापपुर,
- बलरामपुर,
- और रायपुर
तक फैल चुका है। आदिवासी समाज इसे अपने अस्तित्व और सम्मान से जुड़ा मुद्दा मानकर विरोध तेज कर रहा है।
अब सबसे बड़ा सवाल — क्या होगी प्रशासनिक कार्रवाई?
पूरा प्रदेश इस सवाल का इंतज़ार कर रहा है—
- क्या प्रशासन निष्पक्ष जांच करेगा?
- क्या दस्तावेज़ों की सत्यापन प्रक्रिया तेज होगी?
- क्या FIR दर्ज होगी?
- या यह मामला राजनीतिक दबाव में ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
निष्कर्ष
- आरोप बेहद गंभीर – फर्जी जाति प्रमाण पत्र।
- आदिवासी समाज में भारी असंतोष।
- ‘खोजबीन समिति’ गठित।
- ST आयोग सतर्क और सक्रिय।
- विपक्ष भाजपा पर हमलावर।
- प्रशासनिक कार्रवाई की माँग तेज।
यह मामला आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकता है।
