सोनहत पार्क परिक्षेत्र में दो साल पूर्व बना तालाब दो माह पहले टूटा, विभाग ने आनन-फानन में मरम्मत कर काली तिरपाल से ढँका — गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यों का पर्याय बना राष्ट्रीय उद्यान
क्या बड़े अधिकारीयों का भी है संरक्षण?
संवाददाता – सब्बीर मोमिन
स्थान – बैकुंठपुर, जिला कोरिया (छत्तीसगढ़)
दिनांक – 12 नवम्बर 2025
गुरुघासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में अनियमितताओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। एक के बाद एक भ्रष्टाचार के नए मामले सामने आ रहे हैं, पर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बेफिक्र हैं। विभाग की छवि धूमिल होने के बावजूद, सुधार की कोई कोशिश नहीं दिखती।

हाल ही में जनकपुर क्षेत्र में सड़क निर्माण में गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ था। अब सोनहत पार्क परिक्षेत्र से नया मामला सामने आया है — जहां दो वर्ष पूर्व बना तालाब महज़ दो माह पहले फूट गया। विभाग ने इसे छिपाने के लिए जल्दबाज़ी में मरम्मत कर दी और तालाब की दीवार पर काली तिरपाल बिछाकर मिट्टी बहने से बचाने के बहाने “भ्रष्टाचार पर पर्दा” डाल दिया।
🔍 तालाब में तकनीकी नहीं, ‘जुगाड़’ का इस्तेमाल
सूत्रों के अनुसार, तालाब के ओवरफ्लो सिस्टम को इतना बढ़ा दिया गया कि अब उसमें पर्याप्त पानी रुक ही नहीं सकता। निर्माण में घटिया सामग्री और तकनीकी लापरवाही के कारण ही तालाब ध्वस्त हुआ।

⚙️ बिना इंजीनियर के करोड़ों के काम
वन विभाग में करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य बिना किसी तकनीकी विशेषज्ञ की देखरेख के किए जा रहे हैं। डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड जैसे कर्मचारी केवल औपचारिक रूप से मौजूद रहते हैं। सवाल उठता है — क्या वे इंजीनियर हैं? क्या तकनीकी स्वीकृति के बिना किए गए निर्माणों की गुणवत्ता पर भरोसा किया जा सकता है?
🏢 “ऊँची पहुँच” वाले अधिकारी पर मौन क्यों?
सूत्र बताते हैं कि सोनहत पार्क परिक्षेत्र अधिकारी पिछले पाँच से छह वर्षों से एक ही स्थान पर तैनात हैं। कई शिकायतों के बावजूद उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। कहा जा रहा है कि उनकी “ऊँची पहुँच” के कारण ही तमाम जांचें केवल कागज़ों तक सीमित रहती हैं।

📜 शिकायतें फाइलों में दबीं, मंत्री तक पहुँचीं पर कार्रवाई नहीं
साल की शुरुआत में ही सोनहत–रामगढ़ परिक्षेत्र में स्टाफ डेम निर्माण में घोटाले की शिकायतें संचालक बैकुंठपुर, वन मंत्री और मंत्रालय तक भेजी गई थीं। पर न जांच हुई, न कार्यवाही। विभाग की चुप्पी सवाल खड़े करती है — आखिर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण कौन दे रहा है?
🐅 टाइगर प्रोजेक्ट पर भी उठ रहे सवाल
टाइगर रिजर्व में हो रहे घटिया निर्माणों से परियोजना की साख पर बट्टा लग रहा है। ऐसे में “टाइगर प्रोजेक्ट” की सफलता पर भी प्रश्नचिन्ह लगने लगे हैं।

🗣️ जनता और सामाजिक संगठनों का आक्रोश
सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता जयचंद सोनपाकार ने कहा –
“राष्ट्रीय उद्यान में अवैध रूप से गिट्टी और रेत का उत्खनन कर घटिया निर्माण में उपयोग किया जा रहा है। जांच और कार्रवाई का अभाव शासन की छवि खराब कर रहा है।”
कोरिया जन सहयोग समिति के अध्यक्ष पुष्पेंद्र राजवाड़े ने चेतावनी दी –
“लगातार अनियमितताओं और जांच न होने से लोग नाराज़ हैं। जल्द ही पार्क कार्यालय का घेराव किया जाएगा।”
वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेता जनार्दन गुप्ता ने मांग की –
“पार्क परिक्षेत्र में अनियमितताओं की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।”
⚠️ अब सवाल यह है — कब रुकेगा भ्रष्टाचार?
गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व में फूटा हुआ तालाब केवल एक प्रतीक है — सिस्टम की उस दरार का, जो अब केवल “तिरपाल” से नहीं ढँक सकती।
संपादक – रवि शंकर गुप्ता
(एन. भारत न्यूज़)
