N bharat,,,रायपुर, 11 नवम्बर 2025/* उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा आज अपने निज निवास पर मीडिया के प्रतिनिधियों से रूबरू हुए। जहां मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा बस्तर संभाग के दौरे में हुए घटनाक्रम पर चर्चा की। जिसपर उपमुख्यमंत्री ने बताया कि विगत दिनों बस्तर संभाग के कई ज़िलों का उन्होंने निरीक्षण किया। जिसमें उन्होंने पुनर्वास केंद्रों में पुनर्वास कर चुके युवाओं से मुलाकात पर बताया कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में पुनर्वासित युवाओं को विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे समाज में शामिल होने के साथ अपने लिए आजीविका का प्रबंध भी कर सकें।
उन्होंने बताया कि माओवादी माड़वी हिड़मा और बारसे देवा के गांव पूवर्ती का भी उन्होंने दौरा किया जहां माड़वी हिड़मा की माता श्रीमती माड़वी पुंजी तथा बारसे देवा की माता श्रीमती बारसे सिंगे से भी मुलाकात हुई साथ में उनका पूरा परिवार भी उपस्थित था। जहां उनके परिवार से संवाद में परिजनों को माओवाद की राह पर जा चुके उनके परिवार सदस्यों को समझाने का आग्रह किया गया। जहां दोनों नक्सल लीडरों की माताओं ने उनके बेटों के लिए जो मार्मिक संदेश दिया था उसे भी उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने जारी किया।
जिसमें माड़वी हिड़मा की माता श्रीमती माड़वी पुंजी ने कहा है – “कहाँ पर हो, आ जाओ कह रही हूं। नहीं आ रहा है तो मैं कैसे करूँ, कहीं आसपास रहने से ढूढ़ने भी जाती जंगल में और क्या कहूँ बेटा, आजा। घर आजा बोल रही हूं। ढूढ़ने जाती आसपास कहीं रहने से जाकर ले आती। कहॉं हो बेटा घर आ जाओ, कमाई करके खाएंगे, जिएंगे यहां। जनता के साथ जी लेना आ जाओ।
वहीं बारसे देवा की माता श्रीमती बारसे सिंगे ने कहा कि यहाँ घर पर ही रहकर कमाई करके जिएंगे बोली थी मत जाओ, किंतु चला गया, घर में ही नांगर-कूली करने वाले कोई नही हैं बोली फिर भी चले गया, क्या करेंगे हम लोग। घर आकर सरेंडर करके घर में कमाई करके खाएंगे, घर आने से अच्छा रहेगा। कहीं आस पास रहने से ढूढ़ने भी जाते लाने जाते ,मैं कहाँ ढूंढूं।
उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने भी दोनों की माताओं का मार्मिक वीडियो जारी करते हुए कहा कि हम पुनर्वास करने वाले सभी लोगों का दिल से स्वागत करते हैं। समय आ गया है जंगल में भटकना छोड़ हिंसा से दूर होकर सभी युवा मुख्यधारा में लौटें। शासन लाल कालीन बिछाकर सभी का स्वागत करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि हिंसा छोड़ कर पुनर्वास करने वाले माओवादियों की चिंता शासन करेगी। बस्तर में हिंसा के अध्याय का अब अंत हो चुका है अब बस्तर के लोगों के मन में भी शांति और विकास की ओर बढ़ने की चाह है जिसके लिए सभी को मिलकर कार्य करना है।
