K📍 लोकेशन: गौरेला-पेंड्रा-मरवाही
🗓️ तारीख: 23 अक्टूबर 2025
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही।
आईपीएस अधिकारी पर लगे गंभीर आरोपों के बीच मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सख्त लहजे में कहा है कि “अधिकारी चाहे कोई भी हो, यदि शिकायत में आरोप लगाए गए हैं तो जांच अवश्य होगी, और यदि जांच में वे सही पाए जाते हैं, तो कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी।”
मरवाही दौरे के दौरान पत्रकारों से चर्चा में मुख्यमंत्री साय ने कहा कि उनकी सरकार कानून के शासन में विश्वास रखती है, और किसी भी पद या प्रतिष्ठा को जांच से ऊपर नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है और जांच एजेंसी को स्वतंत्र रूप से काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का यह स्पष्ट संदेश है कि “किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध यदि आचरण संबंधी गंभीर शिकायत आती है, तो उस पर निष्पक्ष जांच होगी और यदि दोष साबित होते हैं तो सख्त कार्रवाई से कोई नहीं बच पाएगा।”
🔹 आरोपों पर विभागीय जांच शुरू
राज्य पुलिस मुख्यालय ने हाल ही में प्राप्त शिकायत के आधार पर संबंधित मामले की जांच शुरू कर दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक महिला ने एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पर अनुचित आचरण का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत मिलने के बाद विभाग ने औपचारिक जांच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
इस जांच की जिम्मेदारी 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी आनंद छाबड़ा और आईपीएस मिलना कुर्रे को सौंपी गई है। दोनों अधिकारी मामले के सभी पहलुओं की गोपनीय और निष्पक्ष जांच कर रहे हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि जांच पूरी तरह प्रमाणों, दस्तावेजों और डिजिटल तथ्यों के आधार पर की जाएगी।
पुलिस मुख्यालय सूत्रों के अनुसार, जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी जाएगी, जिसके बाद आवश्यक विभागीय कार्रवाई तय की जाएगी।
🔹 अधिकारी ने भी प्रस्तुत किया अपना पक्ष
इस बीच, संबंधित अधिकारी ने भी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पत्र भेजकर अपने पक्ष में विस्तृत स्पष्टीकरण दिया है।
उन्होंने शिकायत में लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि वे स्वयं इस मामले की निष्पक्ष जांच चाहते हैं ताकि सत्य सामने आ सके।
पत्र में उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि वे इस मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार हैं और उन्हें किसी भी जांच से परहेज नहीं है।
🔹 शासन ने दिए निष्पक्ष जांच के निर्देश
मुख्यमंत्री के बयान के बाद गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी संकेत दिया है कि यह मामला न्यायसंगत और पारदर्शी जांच प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ेगा। विभाग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्तर पर दबाव या हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी।
शासन के सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मिलने के बाद यह मामला विभागीय अनुशासन समिति के समक्ष रखा जा सकता है। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो सेवा नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
🔹 मुख्यमंत्री का सख्त संदेश
मुख्यमंत्री साय का यह बयान प्रशासनिक गलियारों में एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने यह दोहराया कि सरकार शुचिता, पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा –
“हम सबकी जवाबदेही जनता के प्रति है। कोई भी अधिकारी, चाहे वह किसी भी पद पर हो, यदि आचरण संहिता का उल्लंघन करता है, तो उसे परिणाम भुगतने होंगे।”
🔹 जनसामान्य की उम्मीदें
राज्य के नागरिकों और प्रशासनिक हलकों में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। जनता उम्मीद कर रही है कि जांच राजनीतिक या प्रशासनिक प्रभाव से मुक्त रहकर अपने निष्कर्ष पर पहुँचेगी।
लोगों का कहना है कि इस तरह की पारदर्शी कार्रवाई से शासन और पुलिस तंत्र पर जनविश्वास और मजबूत होगा।
निष्कर्ष:
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के स्पष्ट रुख के बाद यह साफ संकेत है कि राज्य सरकार इस प्रकरण को गंभीरता से ले रही है। जांच अधिकारियों को निष्पक्षता से कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है। अब देखना यह होगा कि जांच रिपोर्ट में क्या तथ्य सामने आते हैं और शासन आगे क्या कदम उठाता है।
