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तिल्दा-नेवरा क्षेत्र में इन दिनों भूमाफियाओं की सक्रियता तेजी से बढ़ी है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कथित सफेदपोश नेताओं और प्रभावशाली लोगों द्वारा करोड़ों रुपये की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे किए गए हैं। वहीं, प्रशासनिक अमला इन सफेदपोशों के दबाव में आकर कार्रवाई से बचता नजर आ रहा है, जिससे पूरे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
बताया जा रहा है कि कुछ प्रभावशाली राजनेता और उनके करीबी लोग वर्षों से सरकारी भूमि पर कब्जा जमाए बैठे हैं। शहर से लेकर आसपास के ग्रामीण इलाकों तक कई कीमती ज़मीनें इन लोगों के कब्जे में हैं। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, स्थानीय विधायक और कुछ सत्तारूढ़ दल से जुड़े नेताओं के निकट संबंधी भी इन विवादित भूखंडों से जुड़े हुए हैं। आरोप है कि इन्हीं के प्रभाव में संबंधित विभागों द्वारा कब्जाधारियों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
हाल ही में तिल्दा-नेवरा नगर के कोटा मार्ग पर स्थित शासकीय भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के दौरान प्रशासन को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध और तनावपूर्ण माहौल के कारण प्रशासन को कार्रवाई अधूरी छोड़कर वापस लौटना पड़ा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि—
“साधारण गरीबों के ठेले-गुमटों को तो हटाने में अधिकारी तत्पर रहते हैं, लेकिन बड़े भूमाफियाओं पर कार्रवाई करने से पहले ही प्रशासन के हाथ कांपने लगते हैं।”
कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही शासकीय भूमि को कब्जा मुक्त नहीं कराया गया, तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
📌 मुख्य सवाल:
- क्या प्रशासन वाकई सफेदपोशों के दबाव में काम कर रहा है?
- अवैध कब्जों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
- करोड़ों की सरकारी जमीनें किसके संरक्षण में?
✍️ संपादक – रविशंकर गुप्ता
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