N bharat,,,रायपुर/07 अक्टूबर 2025/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक, ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 347 वी. एवं रायपुर जिले में 166 वी. जनसुनवाई की गई।

आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिकागणों ने बताया कि अनावेदिका प्रभारी प्राचार्य है और सभी आवेदिकागण उनके स्कूल में शिक्षक-शिक्षिकाएं है। जिनका वेतन व भविष्यनिधि जमा ना किये जाने व उन्हें प्रभारी प्राचार्य के द्वारा बार-बार नोटिस दिये जाने से संबंधित शिकायत आवेदिकागणों द्वारा किया गया है। सभी आवेदिकागण 20-30 वर्षों से शैक्षणिक कार्य कर रही थी। आज की सुनवाई के दौरान आवेदिकागणों ने बताया कि अनावेदकगणों के द्वारा आयोग के सुनवाई के दौरान ही 6 आवेदिका शिक्षिकाओं को जानबूझ कर निलंबित किया गया है। इस सुनवाई में प्रबंध समिति के सभी सदस्यों को श्रीमती सुषमा, नितिन लाॅरेंस, जयदीप राॅबिन्सन, प्रवीण दयाल मसीह व इंचार्ज प्रिंसिपल रूपिका लाॅरेंस सालेम इंग्लिश मीडियम स्कूल को भी आयोग के स्पष्ट दिशा-निर्देश के बाद भी अनुपस्थिति का कारण या आवेदन ना देने से यह स्पष्ट है कि सभी अनावेदकगण जानबूझ कर आयोग के सुनवाई में अनुपस्थित होकर आयोग के आदेश की अवहेलना कर रहे है। जिससे शिक्षिकाओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। अनावेदक छ.ग. डायोसिस बोर्ड आॅफ एजुकेशन इस संस्था की वर्तमान समिती को कार्यकारणी पंजीयक फर्म सोसायटी द्वारा निरस्त कर दिया गया है तथा जिन कर्मचारियों का निलंबन किया गया उन्हे नवीन कार्यकारणी गठित होने तक स्थगन आदेश भी रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी द्वारा जारी किया गया है। ऐसी दशा में स्पष्ट है कि वर्तमान कार्यकारणी को भंग कर दिया गया है और आवदिकागणों के निलंबन को स्थगित मानते हुए यथावत कार्य करने का आदेश फर्म एण्ड सोसायटी द्वारा दिया जा चुका है। आयोग की ओर से रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी को पत्र प्रेषित कर 1 सप्ताह के अंदर पुरानी कार्यकारणी को चार्ज दिलाने व निलंबित शिक्षिकाओं को यथावत कार्य करने हेतु जिम्मेदार अधिकारी को तत्काल औचक निरीक्षण के लिए सालेम इंग्लिश मीडियम स्कूल जाने हेतु आदेशित किया जाएगा। जिससे वर्तमान कार्यकारिणी की नियम विरूध्द गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाया जा सके और टीचर्स की बहाली तत्काल हो, ताकि शैक्षणिक सत्र प्रभावित ना हो।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने उससे जबरदस्ती कर बाद में माफी मांगी उसके बाद दोनो का विवाह हुआ। विवाह के बाद आवेदिका को पता चला कि अनावेदक का पूर्व में 03 बार विवाह हो चुका है और आवेदिका उसकी चैथी पत्नी है। आवेदिका और अनावेदक का 14 वर्षीय पुत्र है जो आवेदिका के साथ ही रहता है। अनावेदक ड्राईवर का कार्य करता है और 15 हजार रू. महिना कमाता है। आवेदिका खाना बनाने का कार्य कर अपना व अपने पुत्र का भरण-पोषण कर रही है। चूंकि आवेदिका अनावेदक की चैथी पत्नी है उनका विवाह शून्य है उन्हेें तलाक की प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक आवेदिका और बच्चे के भरण-पोषण हेतु 5 हजार रू. महिना देने के लिए तैयार हुआ। अनावेदक प्रति माह अपने पुत्र से मिल सकेगा। दोनो पक्षों को समझाईश दिया गया कि वह एक-दूसरे को परेशान नहीं करेंगे। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक उसकी ननंद है। उनके नाम से दोनो आवेदिकागणों के ससुर जो अनावेदिका के पिता है ने अपने घर के सामने मकान बनाकर दिया। ससुर की सम्पत्ति में आवेदिकागण निवास करती थी जिसपर अनावेदकगणों ने कब्जा कर लिया है। आवेदिका के सामान उन्ही कमरों में है। आवेदिकागण को उस मकान में आने-जाने पर रोक लगा रखा है। आयोग द्वारा निर्देशित किया गया कि आयोग की काउंसलर द्वारा आवेदिका-अनावेदक के मकान का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, तत्पश्चात् प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक आवेदिका का पति है और उनकी 3 बेटियां है। आवेदिका ने बताया कि कुछ समय से पति का व्यवहार बदलने लगा वह घर से गायब रहने लगा, तभी पता चला कि अनावेदक(पति) दूसरी महिला के निवास पर रहने लगा है जहां दूसरी महिला निवास करती है। दूसरी महिला द्वारा आवेदिका को उसके पति से तलाक लेने की धमकी भी दी जाती है। इस बात की शिकायत आवेदिका ने महिला आयोग में की है। आज की सुनवाई के दौरान अनावेदिका ने बताया कि थाना राजेन्द्र नगर में आवेदिका के खिलाफ उसने एफ.आई.आर. दर्ज करवाया है। आयोग द्वारा राजेन्द्र नगर थाना प्रभारी से टेलीफोन पर चर्चा की गई। आयोग के द्वारा अनावेदक दूसरी महिला व आवेदिका के पति के खिलाफ जांच के आदेश दिये गए। चूंकि अनावेदक अपनी पत्नी व 3 बेटियों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी वहन ना करके उन्हें प्रताड़ित कर रहे है इसकी जांच कराया जाना आवश्यक है। थाना की रिपोर्ट के पश्चात् प्रकरण को सुना जायेगा।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसकी डेढ साल की बच्ची है। उसे अनावेदकगणों ने मायके मे छोड रखा है और कोई भरण-पोषण नहीं दिया जा रहा है। आवेदिका को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। सुनवाई के दौरान आयोग की समझाईश पर अनावेदकगण आवेदिका व बच्ची को साथ ले जाने के लिए तैयार हुए जिनकी काउंसलिंग आयोग द्वारा नियमित रूप से किया जायेगा। यदि अनावेदक आवेदिका को साथ रखने से मना करते है तो आवेदिका थाना में रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगी। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
