गुधेली दशहरा उत्सव में शामिल हुए विधायक दीपेश साहू
कहा प्रभु श्रीराम के आदर्श हमें अपने कर्तव्यों के निर्वहन की प्रेरणा देते हैं
N bharat,,,,बेमेतरा :- युवा दशहरा उत्सव समिति गुधेली के तत्वाधान में दशहरा उत्सव का भव्य आयोजन किया किया। आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप मे दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल विशिष्ट अतिथि विधायक दीपेश साहू अतिविशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक अवधेश सिँह चंदेल किसान नेता योगेश तिवारी शामिल हुए lविधायक दीपेश साहू अतिथि के रूप में शामिल हुए और सभी को विजयादशमी पर्व की शुभकामनाएं दी तथा इस भव्य आयोजन के लिए आयोजन समिति तथा ग्रामवासियो को बधाई दी। जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामवासी व क्षेत्रवासी उपस्थित रहें और अधर्म पर धर्म व असत्य पर सत्य की जीत के इस महापर्व को भव्य रूप से दीपेश साहू ने भी संबोधित करते हुए सभी को हमें शुभकामनाएं दी और कहा कि श्रीराम जी के आदर्श अपने कर्तव्यों के निर्वहन की प्रेरणा देते हैं। दीपेश साहू ने कहा कि विजयादशमी का पर्व हमें अपने अंदर निहित अहंकार को दूर कर सबकी सेवा, सत्कार एवं भाईचारे के लिए प्रेरित करता है।
आज प्रभु श्रीराम जी के आदर्शों और उनके आदर्शो का अनुसरण करके हम बेमेतरा विधानसभा की सुख-समृद्धि एवं नगरवासियों की खुशहाली के लिए निरंतर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहें हैं वहीं विकास कार्यों और अधोसंरचन निर्माण जैसे कार्यों से बेमेतरा विधानसभा को विकासशील से विकसित बेमेतरा की ओर अग्रसर करने हर संभव प्रयास कर रहें हैं। कांग्रेस के शासन में 5 वर्षों तक हमारा बेमेतरा विधानसभा उपेक्षित रहा, विकास कार्यों के नाम पर केवल भ्रष्टाचार हुआ, काम के बदले कनीशन का खेल खुलेआम चला, जनता को सुविधाओं को दरकिनार किया गया सुशासन का सूर्योदय किया जिसका प्रत्यक्ष परिणाम आज जनता के सामने है। अन्धकार से उजाले की ओर हमारा बेमेतरा विधानसभा अग्रसर हुआ हैं जहाँ विकास कार्यों और जनता की सुविधाओं, जनहित की योजनाओं ने इसे समृद्ध बनाया है।उन्होंने आगे कहा कि विजयादशमी का पर्व केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक, नैतिक और के नाम से भी जाना जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत सामाजिक मूल्यों का प्रतीक है।
दशहरा, जिसे विजयादशनी का उत्सव है। यह वह दिन है जब प्रभु श्रीराम पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की राह पर चलते हुए, चाहे कितनी भी विपत्तियाँ आएँ, अंत में विजय सत्य की ही होती है। रावण, जो विद्या, शक्ति और वैभव नें अतुलनीय था, अपने अहंकार और अधर्म के कारण परास्त हुआ। यह पर्व हमें आत्ममंथन का अवसर देता है कि हम अपने जीवन में उन बुराइयों, जैसे लालच, क्रोध, अहंकार का अंत करें और प्रभु श्रीराम के आदर्शों को अपनाएँ। दशहरा केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक एकता, सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक उत्साह का प्रतीक भी है।
