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दुर्ग छत्तीसगढ़
संपादक: रविशंकर। गुप्ता N भारत न्यूज
छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर का प्राचीन चंडी मंदिर इस नवरात्रि में नए स्वरूप में भक्तों को आकर्षित कर रहा है। राजस्थान के लाल पत्थरों से बने नवनिर्माण ने मंदिर को और भी भव्य और दिव्य रूप प्रदान किया है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि 2600 साल पुराने इतिहास का भी साक्षी है।
कुंड स्वरूप में मां चंडिका की पूजा
इस मंदिर की विशेषता है कि यहां मां चंडिका की पूजा पारंपरिक कुंड स्वरूप में होती है। मान्यता है कि मां चंडी इसी कुंड में विश्राम करती हैं और यहां मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसी आस्था के चलते हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करते हैं। इस नवरात्रि भी मंदिर परिसर में लगभग 2500 ज्योति कलश स्थापित किए गए हैं।
2600 साल पुराने अवशेषों का प्रमाण
मंदिर के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए संस्था सजग प्रयास के संरक्षक अरुण गुप्ता बताते हैं कि परिसर में हुई खुदाई में रिंग वेल (कुआं) और हाथी दांत के गहने मिले थे। पुरातत्व विभाग ने इन अवशेषों को करीब 2600 साल पुराना बताया है। यह प्रमाण इस क्षेत्र में प्राचीन मानव बसाहट और धार्मिक परंपराओं की पुष्टि करते हैं।
लाल पत्थरों से भव्य नवनिर्माण
आस्था के इस केंद्र को अब लाल पत्थरों से नया रूप दिया गया है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार नक्काशीदार डिज़ाइन से सुसज्जित है। पहले यह मंदिर साधारण पत्थरों से निर्मित था, जिसे अब आधुनिक और आकर्षक रूप मिला है। कुंड के आसपास मां चंडिका के साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।
देशभर से उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
इस वर्ष नवरात्र पर यहां स्थापित 2500 मनोकामना कलश केवल दुर्ग और आसपास के क्षेत्रों से ही नहीं, बल्कि देशभर से आए श्रद्धालुओं द्वारा प्रज्ज्वलित किए गए हैं। भक्तों का विश्वास है कि मां चंडी के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई हर प्रार्थना पूरी होती है।
