लोकेशन : जगदलपुर (बस्तर)
दिनांक : 13 सितम्बर 2025
बस्तर। अधिकार मुक्ति मोर्चा के प्रमुख संयोजक नवनीत चांद ने राज्य सरकार की नई पर्यटन नीति पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि जहां गरीब और पीड़ित वर्ग को घर बनाने के लिए 5 लाख की राशि भी नहीं मिल रही, वहीं होटल व्यवसाय को उद्योग का दर्जा देकर 45% सब्सिडी देना सीधा-सीधा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना है।
श्री चांद ने कहा कि सरकार पर्यटन की आड़ में बड़े व्यवसायियों को फायदा पहुंचाने में जुटी है। उन्होंने सवाल उठाया कि आदिवासी अंचल में कितने लोग वास्तव में होटल व्यवसाय से जुड़े हैं और इस रोजगार का लाभ स्थानीय युवाओं को कितना मिल रहा है? आंकड़े बताते हैं कि बस्तर के मात्र 30% युवा इसमें शामिल हैं, बाकी बाहर से आए लोग अवसरों पर कब्जा जमाए बैठे हैं।
उन्होंने बाढ़ आपदा का जिक्र करते हुए कहा कि जिनका सब कुछ बर्बाद हो गया, उन्हें सरकार ने केवल ₹1.20 लाख की सहायता दी, लेकिन बड़े होटल व्यवसायियों को बैंक कर्ज माफी जैसी सुविधाएं देने की तैयारी की जा रही है।
मुक्ति मोर्चा संयोजक ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस नीति पर संशोधन नहीं किया, तो मोर्चा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इस मामले को हाईकोर्ट में जनहित याचिका के रूप में उठाएगा।
प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से नवनीत चांद ने कहा कि –
- यह नीति गरीब विरोधी और पूंजीपति समर्थक है।
- राज्य सरकार केंद्र की राह पर चलकर पूंजीपतियों को और मजबूत बना रही है।
- 45% सब्सिडी का मतलब सीधे-सीधे बैंकों का आधा कर्ज माफ करना है।
- गरीबों और छोटे व्यवसायियों को मदद देने के बजाय होटल कारोबारियों को रेवड़ी बांटी जा रही है।
उन्होंने मांग की कि सरकार यदि वास्तव में आर्थिक विकास चाहती है तो स्थानीय व्यापार, छोटे और मंझोले व्यवसायों को प्रोत्साहित करे, ताकि गांव-गांव में रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।
